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स्टिंग प्रकरण मामले में 17 को फैसला होगा। मामला सीबीआई के पास जाने के बाद करीब छह साल से जांच में कोई प्रगति नहीं दिखाई दे रही थी। इस बीच पिछले माह अचानक पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत, विधायक मदन बिष्ट और स्टिंग करने वाले पत्रकार उमेश शर्मा को वॉयस सैंपल देने के लिए नोटिस जारी हुए थे।

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स्टिंग मामले में वॉयस सैंपल देने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत तीन नेताओं ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से सीबीआई स्पेशल कोर्ट में जवाब दाखिल किया। उन्होंने सीबीआई को वॉयस सैंपल देने पर हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही निर्णय लेने की बात कही।

बहस में उन्होंने इस मुकदमे की वर्तमान में चल रही कार्रवाई पर भी सवाल उठाए। उधर, स्टिंग करने वाले पत्रकार एवं वर्तमान विधायक उमेश कुमार के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया, वह जांच में सहयोग के लिए तैयार हैं। लेकिन, फिलहाल उपलब्ध नहीं हो सकते हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसले के लिए 17 जुलाई की तिथि नियत की है।

मामला सीबीआई के पास जाने के बाद करीब छह साल से जांच में कोई प्रगति नहीं दिखाई दे रही थी। इस बीच पिछले माह अचानक पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत, विधायक मदन बिष्ट और स्टिंग करने वाले पत्रकार उमेश शर्मा को वॉयस सैंपल देने के लिए नोटिस जारी हुए थे। सीबीआई कोर्ट ने खुद या अधिवक्ताओं के माध्यम से जवाब दाखिल करने को कहा था।

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नेताओं की ओर से हाईकोर्ट में दायर की गई थी एक रिट
चार जुलाई को हरीश रावत, हरक सिंह रावत और मदन बिष्ट ने कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा था। इसी क्रम में इन तीनों के अधिवक्ताओं विवेक गुप्ता, निलय रत्न कुकरेती, ओमप्रकाश सती, एसएस रावत और मनमोहन कंडवाल शनिवार को सीबीआई स्पेशल कोर्ट में उपस्थित हुए। अधिवक्ता कंडवाल ने बताया, नेताओं की ओर से हाईकोर्ट में एक रिट दायर की गई थी। वॉयस सैंपल देने हैं या नहीं, इस पर फैसला कुछ दिनों में आना है। ऐसे में उन्होंने कोर्ट से कहा है, हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद ही वे वॉयस सैंपल पर निर्णय लेंगे। इसके बाद कोर्ट ने सीबीआई के अधिवक्ता को सुना और फैसले के लिए 17 जुलाई की तिथि नियत कर दी है।

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कोर्ट में हुई जोरदार बहस

हरीश रावत के अधिवक्ता विवेक गुप्ता ने कोर्ट में जोरदार बहस की। उन्होंने कहा, वर्ष 2016 के इस मुकदमे में अब हो रही कार्रवाई आश्चर्य की बात है। सीबीआई ने इससे पहले हरीश रावत को फोन से या नोटिस भेजकर वॉयस सैंपल देने को नहीं कहा। अब एकाएक यह कैसी कार्रवाई है? इसके अलावा इस मुकदमे को वापस लेने के लिए शासनादेश भी हो चुका था। बावजूद इसके अब तक मुकदमा वापस नहीं हुआ।

उमेश शर्मा ने दिया क्षेत्र में बाढ़ का हवाला

उमेश शर्मा की ओर से अधिवक्ता रजनीश गुप्ता कोर्ट में उपस्थित हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया, शर्मा जांच में पूरा सहयोग करेंगे। मगर, इस वक्त क्षेत्र में बाढ़ और आपदा के हालात हैं। शर्मा जमीन पर उतरकर लोगों की मदद कर रहे हैं। लिहाजा, अभी वह उपलब्ध नहीं हैं। अब इस मामले में सोमवार को जब कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी, तभी आगे की दिशा तय होगी।

यह है मामला

वर्ष 2016 में तत्कालीन पत्रकार ने उस वक्त मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत का स्टिंग करने का दावा किया था। स्टिंग का वीडियो सामने आने के बाद उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल आ गया था। विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े इस मामले में रावत की सरकार तक चली गई थी। हालांकि, बाद में सरकार हाईकोर्ट के आदेश से बहाल हो गई थी। इस मामले में सीबीआई दिल्ली शाखा में मुकदमा दर्ज हुआ था।

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कोर्ट का जो आदेश होगा, मैं सिर झुकाकर मानूंगा : हरीश

बहुचर्चित स्टिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सीबीआई की विशेष अदालत में अपने अधिवक्ता के माध्यम से अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि कोर्ट का जो आदेश होगा, वह सिर झुकाकर उसका पालन करेंगे। इसके अलावा वह जनता की अदालत में जाकर अपनी बात रखेंगे। पूर्व सीएम रावत ने कहा कि वह इस तथाकथित स्टिंग की एक-एक बात जनता के सामने रखेंगे। उन्होंने कहा कि जनता खुद इस बात का विश्लेषण करेगी, उन्होंने क्या अपराध किया है। उन्होंने कहा कि वह एक अर्जी गोलज्यू, घंडियाल, कचड़ू और नर सिंह देवता के दरबार में भी लगाएंगे। एक स्टिंग, जिसके चलते उनकी सरकार गिरा दी गई और पूरा तूफान खड़ा किया गया, उसको अपने फेसबुक पेज पर रविवार के दिन वह लोगों के साथ खुद साझा करेंगे।

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