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वक्फ (संशोधन) विधेयक वर्ष 2015 के बाद से संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) को भेजे जाने वाला 11वां बिल है। विपक्षी दलों के विरोध के बीच सरकार ने बृहस्पतिवार को बिल संयुक्त संसदीय समिति को भेजने का फैसला किया।लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वह राजनीतिक दलों के नेताओं से बात करेंगे और समिति का गठन करेंगे।

यदि एक सदन किसी विधेयक को संयुक्त समिति को भेजने का निर्णय लेता है तो वह दूसरे सदन को पैनल के लिए सदस्यों को नामित करने के लिए कहता है। प्रवर या संयुक्त समिति विधेयक पर प्रत्येक खंड पर उसी प्रकार विचार करती है जिस प्रकार दोनों सदन करते हैं।

समिति के सदस्यों की ओर से विभिन्न खंडों में संशोधन पेश किये जा सकते हैं। समिति उन संघों, सार्वजनिक निकायों या विशेषज्ञों से साक्ष्य भी ले सकती है जो विधेयक में रुचि रखते हैं। विधेयक पर विचार करने के बाद समिति सदन को अपनी रिपोर्ट पेश करती है। जो सदस्य बहुमत की रिपोर्ट से सहमत नहीं हैं, वे उस पर असहमति जता सकते हैं।

जेपीसी को भेजे गए विधेयकों में भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनःस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2015, दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2015, प्रतिभूति हित प्रवर्तन और ऋण वसूली कानून और विविध प्रावधान (संशोधन) विधेयक, 2016 और नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन के लिए विधेयक शामिल हैं। वित्तीय समाधान और जमा बीमा विधेयक, 2017 और जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2022 की जांच के लिए इसी तरह के संयुक्त संसदीय पैनल गठित किए गए थे। वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 संयुक्त पैनल को भेजा जाने वाला अंतिम विधेयक था।

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