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उत्तराखंड की प्रसिद्ध हर्षिल घाटी इस समय सर्दियों की चपेट में है. भारी बर्फबारी और लगातार गिरते तापमान ने घाटी के जलस्रोतों को जाम कर दिया है. इससे स्थानीय निवासियों और पर्यटकों के लिए पेयजल संकट गहरा गया है.

हर साल की तरह इस बार भी यहां पानी की किल्लत गंभीर रूप से महसूस की जा रही है. हर्षिल घाटी में तापमान शून्य से नीचे पहुंचने के कारण नलों और जलस्रोतों का पानी पूरी तरह से जम चुका है. ग्रामीणों को अपने घरों की छतों से पिघलने वाली बर्फ और नजदीकी नदियों से पानी लाना पड़ रहा है. इससे उनकी दिनचर्या में भारी कठिनाई उत्पन्न हो रही है.

स्थानीय निवासी मंजुल पंवार, कुलवीर, अर्जुन और मनोज नेगी का कहना है कि बर्फबारी के कारण पाइप लाइनों में पानी की आपूर्ति पूरी तरह ठप है. गांवों के आसपास के जलस्रोत भी जम चुके हैं. ऐसे में ग्रामीणों को लगभग एक किमी दूर जाकर नदियों से पानी लाना पड़ता है. कई बार ठंड बढ़ने पर वे घरों की छतों से पिघल रही बर्फ के पानी पर ही निर्भर रहते हैं.

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जल संकट के कारण पर्यटन पर पड़ रहा है प्रभाव
हर्षिल घाटी बर्फबारी का आनंद लेने के लिए हजारों पर्यटकों को आकर्षित करती है. इस समय भी यहां पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ रही है. हालांकि, जल संकट उनके अनुभव को मुश्किल बना रहा है. स्थानीय लोगों के अनुसार, पर्यटकों को पानी बाल्टियों में भरकर पहुंचाया जा रहा है. ठंड और पानी की कमी के कारण कई पर्यटक अपनी यात्रा को छोटा करने पर मजबूर हो रहे हैं.

पानी जमने के कारण पाइपलाइनें भी फट रही हैं. यह समस्या जल आपूर्ति को और अधिक जटिल बना रही है. पाइपलाइन की मरम्मत के लिए बार-बार प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन ठंड के कारण स्थिति काबू में नहीं आ पा रही है. ग्रामीणों ने जल संस्थान और प्रशासन से मांग की है कि सर्दियों में पानी की आपूर्ति सुचारू रखने के लिए ठोस योजना बनाई जाए. उनका कहना है कि हर साल जल संकट से जूझना उनकी आदत बन गई है, लेकिन अब इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने की जरूरत है.

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सर्दियों में जल स्त्रोतों के प्रबंधन को लेकर ग्रामीणों ने की मांग
ग्रामीणों ने सुझाव दिया है कि पाइपलाइनों को ऐसे तरीके से तैयार किया जाए जो ठंड में पानी जमने से बचा सके. इसके साथ ही, बर्फबारी के दौरान वैकल्पिक जल स्रोतों का प्रबंधन भी किया जाना चाहिए. हर्षिल घाटी में जल संकट की यह समस्या नई नहीं है. हर साल सर्दियों में स्थानीय निवासियों को इन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. सरकार और प्रशासन को इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए दीर्घकालिक समाधान सुनिश्चित करना चाहिए.

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पेयजल आपूर्ति के इस संकट ने एक बार फिर साबित किया है कि पर्यटन स्थलों पर केवल पर्यटकों की सुविधा ही नहीं, बल्कि स्थानीय निवासियों की समस्याओं का समाधान भी प्राथमिकता में होना चाहिए. हर्षिल घाटी के लोगों को उम्मीद है कि उनकी आवाज इस बार प्रशासन तक पहुंचेगी और उनकी समस्याओं का समाधान निकलेगा.

हर्षिल घाटी का प्राकृतिक सौंदर्य इसे पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाता है, लेकिन ठंड के मौसम में यहां के स्थानीय लोग और पर्यटक जल संकट से जूझते हैं. प्रशासन और जल संस्थान से अपेक्षा है कि वे सर्दियों में जल आपूर्ति को सुचारू रखने के लिए ठोस कदम उठाएं ताकि हर्षिल घाटी की खूबसूरती को पूरी तरह से आनंददायक बनाया जा सके.