सुरंग में फंसे मजदूरों को 13 दिन हो गए हैं. रेस्क्यू टीम युद्ध स्तर पर जुटी है. रेस्क्यू में आर रही दिक्कतें बार-बार सांसे अटका देती हैं. हर दिन लगता है कि आज रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो जाएगा. फिर एक दिन और बढ़ जाता है. इस तरह से आज पूरे 13 दिन हो गए हैं. सवाल ये है आखिर देरी क्यों हो रही है.
पूरा देश उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के सुरक्षित बाहर निकलने का इंतजार कर रहा है. सुरंग में फंसे मजदूरों को 13 दिन हो गए हैं. रेस्क्यू टीम युद्ध स्तर पर जुटी है. रेस्क्यू में आर रही दिक्कतें बार-बार सांसे अटका देती हैं. हर दिन लगता है कि आज रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो जाएगा. फिर एक दिन और बढ़ जाता है. इस तरह से आज पूरे 13 दिन हो गए हैं. सवाल ये है आखिर देरी क्यों हो रही है.
सवाल उठ रहे हैं कि आखिर उत्तरकाशी में सुरंग में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में बार-बार अड़चन क्यों आ रही है? आखिर क्यों बार-बार मजदूरों के पास खुशखबरी आते-आते वापस चली जा रही है? 13 दिन बाद भी मजदूरों से मदद अभी भी 14 मीटर दूर हैं, इसीलिए सवाल उठ रहा है कि रेस्क्यू में देरी, क्या है मजबूरी?
गुरुवार देर रात तकनीकी खराबी के कारण रुके ड्रिलिंग के काम को शुक्रवार सुबह फिर से शुरू किया गया. हालांकि मजदूरों को निकालने के लिए अमेरिकी निर्मित ऑगर मशीन द्वारा की जा रही ड्रिलिंग शुरू होने के तुरंत बाद एक और बाधा के कारण रोक दी गई. मशीने के सामने फिर से सरिया आ गए. इसके बाद शुक्रवार रात फिर से रेस्क्यू ऑपरेशन रुक गया. अब रेस्क्यू टीम मैन्युअल ड्रिलिंग करने पर विचार कर रही है. हालांकि अगर इस विकल्प का इस्तेमाल किया जाता है तो रेस्क्यू ऑपरेशन में और अधिक समय लग सकता है.
दरअसल, रेस्क्यू टीम बार-बार यही कह रही है कि तकरीबन सारी बाधाएं पार कर ली गई हैं. दावा यही है कि किसी भी घड़ी सुरंग में फंसे 41 मजदूर बाहर आ सकते हैं. अब 6-6 फीट के दो पाइप सुरंग में डालने के बाद ब्रेक थ्रू मिल सकता है. लेकिन फिर भी मजदूरों को बाहर निकलने में लगातार देरी होती जा रही है. बताया जा राह है कि देश और विदेश के एक्सपर्ट को मिलाकर बनाई गई रेस्क्यू टीम को बस एक ब्रेकथ्रू का इंतजार है. यानी टनल में 6-6 मीटर के दो पाइप जैसे ही अंदर जाएंगे, रेस्क्यू टीम को एक बड़ा मौका मिल जाएगा और सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के बाहर आने का रास्ता खुल जाएगा.
सुरंग में शतरंज और ताश खेल रहे मजदूर
गौरतलब है कि मजदूर पिछले 13 दिन से टनल के अंदर हैं और कई बार ऑपरेशन में दिक्कत आ चुकी हैं. ऐसे में मजदूरों का मनोबल बढ़ाने के लिए मनोवैज्ञानिक भी लगे हुए हैं. ऑपरेशन में देरी की वजह से मजदूरों को लूडो, शतरंज और ताश खेलने के लिए दिये गए हैं. मजदूरों सुरंग के अंदर चोर-पुलिस खेलते हैं, और योगा भी कर रहे हैं, ताकि तनाव मुक्त रहें. डॉक्टरों की टीम रोजाना मजदूरों से बात करती है, उनकी सेहत और मानसिक स्थिति पूछती है. रेस्क्यू टीम रोजाना सुरंग में फंसे मजदूरों से 30 मिनट बात करती है.
मजदूरों के लिए भेजा गया दलिया और फ्रूट्स
सीएम पुष्कर धामी भी मजदूरों से बातचीत करने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने रेस्क्यू ऑपरेशन संबंधित जानकारी भी अधिकारियों से ली. वहीं सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को नाश्ते में दलिया और फ्रूट्स भेजे गए. रेस्क्यू टीम की तैयारी हर तरह से पूरी है. जैसे ही ड्रिलिंग कंपलीट होगी, NDRF की 15 सदस्यीय टीम हेलमेट, ऑक्सीजन सिलेंडर, गैस कटर के साथ 800 मिमी की पाइपलाइन से अंदर जाएगी. अंदर फंसे लोगों को बाहर के हालात और मौसम के बारे में बताया जाएगा. डॉक्टरों का कहना है, चूंकि टनल के अंदर और बाहर के तापमान में काफी अंतर होगा, इसलिए मजदूरों को तुरंत बाहर नहीं लाया जाएगा. लेकिन हर कोई यही जानना चाहता है कि ड्रिलिंग कंपलीट कब होगी.