उत्तराखंड, धारचूला
उच्च हिमालय में इस बार ठंड अभी से रिकार्ड तोड़ने लगी है। आदि कैलास क्षेत्र में तापमान माइनस पांच डिग्री पहुंचने से प्रशासन ने फिलहाल आदि कैलास क्षेत्र में जाने पर रोक लगाई है। आदि कैलास जाने वाली छड़ी यात्रा को भी तवाघाट से वापस लौटना पड़ा है। दूसरी तरफ उच्च हिमालयी गांवों से ग्रामीण माइग्रेशन करने लगे हैं। ऐसे में प्रशासन किसी तरह का खतरा उठाना नहीं चाहता है। हरिद्वार से निकली छड़ी यात्रा शुक्रवार को धारचूला से होते हुए तवाघाट पहुंची। यात्रा को शनिवार को आदि कैलास को रवाना होना था, परंतु आदि कैलास क्षेत्र में बीते दिनों हुई बर्फबारी से इस बार ठंड का प्रकोप बढ़ चुका है। क्षेत्र में तापमान माइनस पांच डिग्री पहुंच चुका है। ऐसे में आदि कैलास जाना किसी खतरे से कम नहीं है। ऊपर से मार्ग भी ठीक नहीं है। तहसील प्रशासन द्वारा इस समस्या से छड़ी यात्रा में शामिल साधुओं को अवगत कराया गया। जिसे साधुओं ने माना और छड़ी यात्रा को तवाघाट से आदि कैलास के बजाय गंगोलीहाट, पाताल भुवनेश्वर के लिए रवाना किया। अगले वर्ष से छड़ी यात्रा जिले में प्रवेश करने के बाद सबसे पहले आदि कैलास, ओम पर्वत जाएगी।
उच्च हिमालय में तापमान के लगातार गिरने और मार्ग के भी ठीक नहीं होने पर तहसील प्रशासन ने बीते कुछ दिनों से इनर लाइन परमिट देना बंद कर दिया है। आनलाइन परमिट निर्गत करने की व्यवस्था बंद होने वाली है। वर्तमान में धारचूला तहसील में उप जिलाधिकारी नहीं हैं। तहसीलदार का भी अता पता नहीं रहता है। नायब तहसीलदार अवकाश में हैं। तहसील की जिम्मेदारी राजस्व निरीक्षक के पास है। ऐसे में इनरलाइन परमिट भी जारी नहीं हो सकता है। बीते दिनों आदि कैलास के लिए आए गुजरात के दो और दिल्ली का एक पर्यटक भी वापस लौटे।
ग्रामीणों का माइग्रेशन प्रारंभ
दीपावली पर्व संपन्न होते ही उच्च हिमालयी व्यास घाटी के ग्रामीण भी माइग्रेशन करने लगे हैं। आदि कैलास मार्ग में पड़ने वाले गांव कुटी, रोंगकोंग, नाबी के ग्रामीण धारचूला आने लगे हैं। नवंबर प्रथम पखवाड़े तक व्यास घाटी के सभी सात गांवों के ग्रामीण धारचूला पहुंच जाएंगे।