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⚠️ “धराली में कहर बनकर टूटी 15 मीटर/सेकंड की रफ्तार! मलबे ने 250 kPa का दबाव डाला, सबकुछ चंद सेकंड में तबाह 😱”

📌 मुख्य बिंदु (Highlights):

  • ⚠️ पानी की रफ्तार करीब 15 मीटर प्रति सेकंड रही — विशेषज्ञों का आकलन

  • 🪨 मलबे ने 250 किलो पास्कल (kPa) तक दबाव बनाया — भवन ध्वस्त

  • 🔬 दून विश्वविद्यालय के भूगर्भ वैज्ञानिकों ने जारी की तकनीकी रिपोर्ट

  • ❄️ ग्लेशियर पिघलने और ऊपरी इलाकों में जमा पुराने मलबे ने भी बढ़ाई तबाही

  • 📽️ वीडियो फुटेज और पुराने शोधों के आधार पर विश्लेषण


📍 क्या हुआ था धराली में?

हाल ही में उत्तराखंड के धराली क्षेत्र में आई अचानक बाढ़ और मलबे की भीषण तबाही ने कई घरों और संरचनाओं को मिनटों में तबाह कर दिया। विशेषज्ञों के अनुसार, यह केवल सामान्य बाढ़ नहीं थी, बल्कि तेज बहाव और उच्च दबाव के साथ आए मलबे का शक्तिशाली मिश्रण था।

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🔬 विज्ञान क्या कहता है?

🧠 डॉ. विपिन कुमार, विभागाध्यक्ष, भूगर्भ विज्ञान विभाग, दून विश्वविद्यालय:

“धराली जैसी संकरी घाटियों में जब भारी बारिश होती है तो पानी मलबे के साथ तेजी से नीचे की ओर बहता है। इस बार पानी की रफ्तार लगभग 15 मीटर/सेकंड (≈54 किमी/घंटा) रही होगी। साथ ही, बहाव में शामिल भारी मलबे ने भवनों पर करीब 250 किलो पास्कल (kPa) तक का दबाव डाला।”

👉 यह दबाव इतना अधिक होता है कि किसी भी सामान्य निर्माण की संरचना इसे सह नहीं सकती। यही वजह रही कि धराली में कुछ भी टिक नहीं पाया।


🧱 250 kPa दबाव कितना खतरनाक होता है?

  • 250 kPa = 2.5 टन प्रति वर्गमीटर का दबाव

  • इस स्तर का दबाव सामान्य सीमेंट-कंक्रीट निर्माण को चकनाचूर कर सकता है

  • अगर इतनी ताकत किसी दीवार या नींव पर पड़े, तो उसके गिरने की पूरी संभावना होती है

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🧊 ग्लेशियर और पुराना मलबा बना समय का बम

🧬 प्रो. डॉ. नेहा चौहान, पर्यावरण वैज्ञानिक:

“गर्मियों में जब ग्लेशियर पिघलते हैं, तो ऊपरी इलाकों में धीरे-धीरे मलबा जमा होता जाता है। इस बार भारी बारिश के कारण वही मलबा अचानक पानी के साथ नीचे आया और अप्रत्याशित दबाव और तबाही का कारण बना।”

🔍 शोध में यह भी सामने आया कि पूर्व की घटनाओं का मलबा भी अब तक जमा था, जिसने हाल की बारिश में ट्रिगर का काम किया।


📽️ वीडियो फुटेज और पूर्व शोध पर आधारित विश्लेषण

  • हादसे के समय की वीडियो फुटेज को वैज्ञानिकों ने एनालाइज किया

  • जल प्रवाह की गति और दिशा को मापा गया

  • पुराने भूगर्भीय सर्वेक्षणों से भी तबाही की पृष्ठभूमि का पता चला

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🚨 निष्कर्ष: प्रकृति की चेतावनी

धराली जैसी आपदाएं केवल मानव निर्मित समस्याएं नहीं हैं, बल्कि प्राकृतिक असंतुलन और लापरवाही का संयुक्त परिणाम हैं।
विशेषज्ञों की राय है कि:

✅ ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में प्राकृतिक जल प्रवाह और भू-संरचना का वैज्ञानिक मूल्यांकन अनिवार्य है।
✅ निर्माण से पहले जोखिम आकलन (Risk Assessment) आवश्यक होना चाहिए।
ग्लेशियर और मलबा प्रबंधन की दिशा में ठोस नीति बनाई जानी चाहिए।


📢 क्या आप जानते हैं?

एक सामान्य मकान की दीवार अधिकतम 100-150 kPa का दबाव झेल सकती है। धराली में यह 250 kPa तक पहुंच गया।

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By Editor