📍 देहरादून | ऊर्जा संवाददाता
उत्तराखंड के बिजली उपभोक्ताओं पर बिजली का झटका ⚡ पड़ने वाला है।
यूपीसीएल (Uttarakhand Power Corporation Limited) के तीन बड़े केस हारने के बाद 783 करोड़ रुपये का घाटा अब जनता की जेब से पूरा किया जाएगा।
➡️ इस कारण अगले दो साल तक बिजली की दरों में 25 पैसे प्रति यूनिट तक का अतिरिक्त भार शामिल करने की तैयारी है।
अप्रैल 2026 से यह बढ़ोतरी बिजली बिलों में दिखने लगेगी 🧾।
💰 क्या है पूरा मामला
केंद्रीय विद्युत अपीलीय प्राधिकरण (अपटेल) में यूपीसीएल को
तीन अलग-अलग प्रकरणों में 783 करोड़ रुपये का भुगतान आदेश दिया गया है।
विद्युत नियामक आयोग ने यूपीसीएल को निर्देश दिया है कि
वह यह राशि 11 किस्तों में निजी बिजली कंपनियों को चुकाए।
👉 यूपीसीएल अब इस नुकसान की भरपाई टैरिफ में शामिल कर उपभोक्ताओं से वसूलेगा।
यानी जो केस यूपीसीएल हारा,
उसका सीधा नुकसान अब आम उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा 💸।
⚡ उपभोक्ता संगठनों ने किया विरोध 🚫
उत्तराखंड पहाड़ी महासभा की महासचिव गीता बिष्ट 🗣️ ने
विद्युत नियामक आयोग को पत्र भेजते हुए कहा —
“हर साल बिजली दरें बढ़ रही हैं,
अब यूपीसीएल अपने केस हारने का बोझ भी जनता पर डाल रहा है।
उपभोक्ता पहले से ही स्मार्ट मीटर की खामियों और दोगुने बिलों से परेशान हैं।
यदि 10% और बिजली महंगी की गई, तो जनता सड़कों पर उतर आएगी।”
उन्होंने कहा कि 2026-27 के टैरिफ प्रस्ताव से इस वित्तीय भार को हटाया जाए।
🏭 उद्योग जगत में भी आक्रोश 😠
फर्नेश इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष पवन अग्रवाल ने कहा —
“यूपीसीएल न तो अपने खर्चे घटा रहा है,
न ही बिजली की लाइन लॉस कम कर पा रहा है।
हर साल महंगी बिजली उद्योगों पर सीधा असर डाल रही है।
महंगी बिजली से उत्पादन लागत बढ़ रही है और प्रतिस्पर्धा घट रही है।”
उन्होंने कहा कि उद्योग पहले ही मंदी झेल रहे हैं,
अब अगर बिजली दरें और बढ़ीं तो कई यूनिटें बंद होने की कगार पर होंगी।
📉 ऐसे बढ़ेगा उपभोक्ताओं का बिल (संभावित आंकड़े)
| 🔌 बिजली खपत (यूनिट) | 💸 संभावित अतिरिक्त भार |
|---|---|
| 100 यूनिट तक | ₹25 अतिरिक्त |
| 200 यूनिट तक | ₹50 अतिरिक्त |
| 300 यूनिट तक | ₹75 अतिरिक्त |
| 400 यूनिट तक | ₹100 अतिरिक्त |
| 500 यूनिट तक | ₹125 अतिरिक्त |
📎 (नोट: आंकड़े संभावित हैं, आयोग की स्वीकृति के बाद ही अंतिम दरें तय होंगी।)
⚙️ क्यों पड़ रहा है भार उपभोक्ताओं पर?
🔹 यूपीसीएल हर साल महंगी बिजली खरीदने और लाइन लॉस का बोझ उपभोक्ताओं से वसूलता है।
🔹 अब केस हारने से हुए 783 करोड़ के घाटे को भी इसी नियम के तहत
टैरिफ में शामिल करने की योजना है।
🔹 नियमानुसार, यूपीसीएल ‘वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR)’ में इन खर्चों को जोड़कर
बिजली की दरें तय करता है।
🏛️ क्या कह रहा है विद्युत नियामक आयोग
आयोग के सूत्रों के मुताबिक,
“यूपीसीएल द्वारा दायर प्रस्ताव पर सुनवाई के बाद निर्णय लिया जाएगा।
फिलहाल उपभोक्ता संगठनों की आपत्तियां दर्ज की जा रही हैं।
जनता पर अनावश्यक बोझ डालने से बचने की पूरी कोशिश की जाएगी।”
🧠 उपभोक्ताओं के लिए सलाह ⚡
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अपने बिजली बिल में “FC और PPAC चार्ज” पर नजर रखें — यहीं बढ़ोतरी दिखाई देगी।
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ऑनलाइन शिकायत पोर्टल पर आपत्ति दर्ज करें।
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अपने इलाके के वितरण कार्यालय में सुझाव भेजें।
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उपभोक्ता समिति के सुनवाई दिवसों पर उपस्थित रहें।


