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उत्तराखंड पहली बार तैनाती के बाद नायब तहसीलदारों को पुनः ट्रेनिंग पर लौटना होगा। इस ट्रेनिंग के बाद एक परीक्षा होगी, जिसे उत्तीर्ण करने पर ही उन्हें दो महीने बाद नियुक्ति दी जाएगी।

पूर्व में हुई ट्रेनिंग के बाद कई प्रशिक्षु नायब तहसीलदार परीक्षा में असफल हो गए थे, लेकिन इसके बावजूद उन्हें तैनाती दे दी गई थी। इस मामले ने राजस्व परिषद का ध्यान आकर्षित किया, जिसके बाद न केवल नायब तहसीलदारों को पुनः प्रशिक्षण के लिए वापस बुलाने के आदेश दिए गए, बल्कि अल्मोड़ा स्थित प्रशिक्षण संस्थान के कार्यकारी निदेशक को भी पद से हटाकर बाध्य प्रतीक्षा में रखा गया। प्रशिक्षुओं के फेल होने और उनकी तैनाती से जुड़ा यह मामला अब व्यापक चर्चा का विषय बन गया है, जिससे नायब तहसीलदारों के प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं। प्रशिक्षण संस्थान के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक श्रीश कुमार ने एक पत्र में प्रशिक्षु नायब तहसीलदारों के अनुशासन और व्यवहार में कई गंभीर कमियों का उल्लेख किया। पत्र में बताया गया कि 36 प्रशिक्षुओं में से 35 का आचरण संतोषजनक नहीं था, प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने नोट्स नहीं बनाए, कक्षाओं में मोबाइल पर व्यस्त रहे और 4 से 11 विषयों में निर्धारित मानकों से कम अंक प्राप्त किए।

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नायब तहसीलदारों के लिए अनिवार्य दो महीने की ट्रेनिंग

इस मामले के उजागर होने के बाद श्रीश कुमार को हटाकर उन्हें बाध्य प्रतीक्षा में भेज दिया गया। उनकी जगह कार्यकारी निदेशक के रूप में सीएस डोभाल की नियुक्ति की गई है, जिन्होंने पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले ली थी और उनकी अचानक वापसी ने सभी को चकित कर दिया है। राजस्व परिषद ने निर्णय लेते हुए सभी जिलों में तैनात नायब तहसीलदारों को फिर से दो महीने की ट्रेनिंग के लिए वापस बुला लिया है। 1 दिसंबर से प्रशिक्षण संस्थान में उन्हें दोबारा प्रशिक्षण लेना होगा, जहां उन्हें संस्थान की प्रक्रिया के अनुसार विभिन्न परीक्षाओं में उत्तीर्ण होना भी आवश्यक होगा।

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