उत्तराखंड में बजट सत्र का आगाज सोमवार से हो गया है। सोमवार को राज्यपाल राज्यपाल ले.ज. गुरमीत सिंह (सेनि) ने 16 पन्नों का अभिभाषण पढ़ा था। जिसमें उन्होंने धामी सरकार के भावी विकास का विजन रखा था। सत्र के दौरान धामी सरकार 15 मार्च को वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेगी।
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उत्तराखंड बजट सत्र के दूसरे दिन विधायी कार्य के साथ राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा हुई। वहीं, कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के तेवर तल्ख नजर आए। सबसे पहले विपक्ष ने बेरोजगारी का मुद्दा उठाया और भर्ती घोटाला और गन्ना मूल्य बढ़ाए जाने की मांग को लेकर सदन में खूब हंगामा किया। बताया जा रहा है कि कुछ सदस्यों ने टेबल भी तोड़ दी और रूल बुल भी फाड़ दी। जिसके चलते 15 विधायकों को एक दिन के लिए सत्र से निलंबित कर दिया। वहीं, भोजन अवकाश के बाद भी कांग्रेस विधायकों ने सदन में खूब हंगामा किया। विपक्ष के रवैया से नाराज स्पीकर सदन की कार्रवाई से उठ कर चली गईं।
ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण स्थित विधानसभा मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस विधायकों के बीच टकराव और गतिरोध की गवाह बनी। विपक्षी सदस्यों के रवैये से विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण इस कदर नाराज हुईं कि उन्होंने सदन में हंगामा करने पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य समेत कांग्रेस के 15 विधायकों को सत्र की कार्यवाही से एक दिन के लिए निलंबित कर दिया।
लेकिन कांग्रेस सदस्यों ने सदन नहीं छोड़ा और वे वेल में आकर नारेबाजी करते रहे। हंगामे और शोरशराबे के बीच स्पीकर को सात बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। वेल में प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस विधायक ने प्रभारी सचिव हेम पंत की टेबल पर रखा माइक तोड़ दिया। उन्हें कुर्सी छोड़कर दूसरी जगह बैठना पड़ा। इस दौरान स्पीकर पर एक रिपोर्ट फेंकी गई, जिससे वह बाल-बाल बचीं। हल्ले-गुल्ले के बीच राज्यपाल के बजट अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव आया, चर्चा हुई और इसे पारित कर दिया गया। गतिरोध खत्म करने के लिए स्पीकर व संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने प्रयास किए, लेकिन सिरे नहीं चढ़ पाए।
यूं शुरू हुआ हंगामा
जसपुर के विधायक आदेश चौहान के विशेषाधिकार हनन के मामले में सरकार की रिपोर्ट पर जब स्पीकर ने प्रस्ताव को अस्वीकार किया तो कांग्रेस विधायक भड़क गए और उन्होंने वेल में आकर जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। कांग्रेस विधायक आदेश चौहान और फुरकान अहमद विस प्रभारी सचिव की टेबल पर चढ़ गए। विपक्षी सदस्यों ने पीठ की ओर कागज के पर्चे फेंके। इससे क्षुब्ध स्पीकर ने निर्देश दिए कि दोनों सदस्यों को सदन से बाहर ले जाया जाए। इस पर कांग्रेस विधायक भी भड़क गए और उन्होंने जमकर नारेबाजी शुरू कर दी। वे प्रभारी सचिव की टेबल पर चढ़ गए। उसे जोर-जोर से पीटने लगे। कांग्रेस विधायकों के इस रवैये से नाराज स्पीकर ने सभी सदस्यों को एक दिन के लिए निलंबित करने के आदेश दे दिए और सदन की कार्यवाही को अपराह्न तीन बजे तक स्थगित कर दिया। गुस्साए कांग्रेस विधायकों ने भी वेल में ही आसन जमा दिया।
…और बिगड़ती चली गई बात
मंगलवार को विशेषाधिकार हनन मद पर कार्यवाही के दौरान स्पीकर ने विधायक आदेश चौहान के दो मामलों पर सरकार की रिपोर्ट रखी। पीठ ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव को अस्वीकार किया। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के आधार पर विशेषाधिकार हनन मामला नहीं बनता है। साथ ही मामला न्यायालय में विचाराधीन है। जांच रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि विधायक को नया गनर दिया गया। लेकिन गनर के प्रति व्यवहार ठीक नहीं है और एक व्यक्ति विशेष गनर की मांग कर रहे हैं।
नहीं शांत हुए कांग्रेस विधायक
सरकार की जांच रिपोर्ट पर कांग्रेस विधायकों ने हंगामा कर दिया। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, प्रीतम सिंह, आदेश चौहान, हरीश धामी, फुरकान अहमद, ममता राकेश, रवि बहादुर, सुमित हृदयेश, अनुपमा रावत समेत कांग्रेस के 15 विधायक वेल में आकर नारे लगाने लगे। स्पीकर ने सदन की कार्यवाही जारी रखी। इस पर गुस्साए कांग्रेस विधायक विस के प्रभारी सचिव की टेबल पर चढ़ने लगे। वहां मौजूद मार्शल ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। इस पर पीठ से स्पीकर ने सदन से बाहर करने के निर्देश दिए, लेकिन कांग्रेस विधायक शांत नहीं हुए।
सेम-सेम, तानाशाही नहीं चलेगी…नारे लगाए
प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायक विक्रम सिंह नेगी का प्रश्न निरस्त करने पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने आपत्ति जताई। स्पीकर ने उन्हें बात रखने का मौका नहीं दिया। इस पर विपक्ष ने वेल में पहुंच कर तानाशाही नहीं चलेगी, सेम-सेम के नारे लगाए। इस पर स्पीकर ने कहा कि पीठ से विनिश्चय आने के बाद प्रश्न को नहीं सुना जाएगा। स्पीकर ने सदस्यों को अपनी सीट पर बैठने के निर्देश दिए।
बसपा व निर्दलीय विधायक भी वेल में आए
भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही जब शुरू हुई तो बसपा विधायक सरबत करीम अंसारी और मोहम्मद शहजाद भी कांग्रेस विधायकों के समर्थन में वेल में आ गए। खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने भी वेल में आकर प्रदर्शन किया।
विशेषाधिकार हनन के मामले में सरकार की रिपोर्ट को सदन में रखा जा रहा था। यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। इस पर विशेषाधिकार मामले को अस्वीकार किया गया। लेकिन विपक्ष के विधायक उग्र हो गए। सदन की गरिमा का ध्यान नहीं रखा। इस तरह का व्यवहार अनुचित है। प्रभारी सचिव व सुरक्षा कर्मियों के साथ धक्का मुक्की कर रूल बुक को फाड़ा गया। सदन में गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कांग्रेस के विधायकों के व्यवहार को देखते हुए सदन की कार्यवाही से एक दिन के लिए निलंबित किया गया है।
-ऋतु खंडूड़ी भूषण, अध्यक्ष विधानसभा
लोकतंत्र के इतिहास में विपक्ष का इस तरह का व्यवहार ठीक नहीं है। पीठ पर टिप्पणी कर टेबल पर चढ़कर कागज फेंकना गलत है।
– प्रेमचंद अग्रवाल, संसदीय कार्यमंत्री
विशेषाधिकर हनन के मामले में सरकार और पुलिस की रिपोर्ट सच्चाई से परे है। यह विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश है। विस अध्यक्ष सदन में सभी विधायकों के संरक्षक होते हैं। कांग्रेस विधायक उसी परंपरा के अनुसार, उनसे संरक्षण मांग रहे थे, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही थी। भाजपा के आरोप गलत हैं।
– यशपाल आर्य, नेता प्रतिपक्ष
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कांग्रेसियों ने हाथों में गन्ना लेकर किया प्रदर्शन
मंगलवार को कांग्रेस विधायक बड़ी संख्या में विधानसभा भवन के मुख्य गेट पर पहुंचे और विधायकों ने गन्ने का बकाया मूल्य भुगतान की मांग को लेकर हाथों में गन्ना लेकर प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने उन्हें अंदर जाने से रोका।