बिंदुखत्ता के तिवारी नगर में गढ़वाल-कुमाऊं की समृद्ध लोकसंस्कृति का भव्य संगम देखने को मिल रहा है। 🎶✨
झांझर सांस्कृतिक कला समिति द्वारा आयोजित पांच दिवसीय गढ़-कुमू महोत्सव का शुभारंभ रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ हुआ, जिसने पूरे क्षेत्र को उत्सवमय बना दिया।
🔱 देव स्तुति से शुरुआत, लोकनृत्य ने बांधा समां
महोत्सव का आगाज़ देव स्तुति से हुआ 🙏, जिसके बाद
👉 छोलिया नृत्य
👉 शगुन आंखर
👉 पारंपरिक लोकगीत और लोकनृत्य
ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया 💃🕺। स्थानीय कलाकारों के साथ-साथ स्कूली बच्चों की प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम में विशेष आकर्षण जोड़ा।
🪔 विधायक ने किया दीप प्रज्वलन, संस्कृति संरक्षण का दिया संदेश
कार्यक्रम का उद्घाटन विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट ने दीप प्रज्वलित कर किया 🪔।
उन्होंने कहा कि —
“ऐसे आयोजन नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ते हैं और लोकसंस्कृति के संरक्षण में अहम भूमिका निभाते हैं।”
🎤 सुव्यवस्थित संचालन, संस्कृति के लिए समर्पित आयोजन
कार्यक्रम का प्रभावशाली संचालन लेखक एवं कवि जनार्दन उप्रेती ने किया ✍️।
आयोजन के संयोजक जीवन पांडे और बसंत पांडेय ने बताया कि यह महोत्सव लोकसंस्कृति को जीवित रखने की दिशा में एक सार्थक प्रयास है।
🗓️ आयोजकों के अनुसार —
➡️ महोत्सव के दौरान प्रतिदिन दो पालियों में
➡️ प्रसिद्ध लोक कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी 🎼🎭
👥 बड़ी संख्या में गणमान्य लोग रहे मौजूद
इस सांस्कृतिक आयोजन में क्षेत्र के कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे, जिनमें शामिल हैं —
✔️ भाजपा मंडल अध्यक्ष नवीन पपोला
✔️ कमलेश चंदोला, दीपक जोशी
✔️ चामू सिंह कार्की, कमलापति जोशी
✔️ कमल पांडे, जगदीश पाठक
✔️ पंकज कोरंगा, दिनेश पांडे
✔️ गोकुलानंद, सोहन लाल सहित अनेक गणमान्य नागरिक 👏
🔍 क्यों खास है गढ़-कुमू महोत्सव? (Highlights)
✨ गढ़वाल-कुमाऊं की लोकसंस्कृति का जीवंत मंच
✨ स्थानीय कलाकारों को पहचान
✨ नई पीढ़ी को सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का प्रयास
✨ पांच दिन तक निरंतर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
📢 निष्कर्ष:
बिंदुखत्ता में आयोजित गढ़-कुमू महोत्सव केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि उत्तराखंड की लोकआत्मा का उत्सव है ❤️। यह आयोजन न सिर्फ मनोरंजन करता है, बल्कि संस्कृति को सहेजने का संदेश भी देता है।
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