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रामनगर। नौ साल पहले छात्र नेता रोहित पांडे के आत्मदाह करने के मामले में 20 लोगों पर दर्ज मुकदमे शासन ने वापस ले लिए हैं। मुकदमे में नामजद लोगों ने शासन की इस कार्रवाई से राहत की सांस ली है।

घटना नवंबर 2014 की है। मामला छात्र संघ चुनाव से जुड़ा था। चुनाव से पूर्व कांग्रेस व एबीवीपी से जुड़े कार्यकर्ताओं के बीच रात में झगड़ा हो गया था। रात में ही मालधन में तीन चार एबीवीपी समर्थकों की बाइक जल गई थी।

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तब पुलिस ने इस पूरे मामले में पूर्व ब्लाक प्रमुख संजय नेगी व उनके चार साथियों पर मुकदमे दर्ज कर दिए थे। दूसरे दिन छात्र नेताओं ने कोतवाली पहुंचकर नाराजगी जताई थी। उन्होंने कोतवाल आरके फर्सवाण की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए झूठे मुकदमे दर्ज करने की बात कही थी। कोतवाल को नहीं हटाने पर लिखित रूप से आत्मदाह की चेतावनी दी थी।

रोहित पांडे ने किया था आत्मदाह

चार नवंबर 2014 को लखनपुर में पानी की टंकी में चढ़कर रोहित पांडे ने खुद पर आग लगा ली थी। उपचार के दौरान दिल्ली में रोहित का निधन हो गया था। इससे पूर्व संजय नेगी ने भी आत्मदाह का प्रयास किया था। रोहित ने निधन से पहले पुलिस के विरुद्ध बयान दिया था। यह मामला सत्ता के गलियारों तक गूंजा था।

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आरोपित पक्ष के वकील दीपक जोशी ने बताया कि इस मामले में कोतवाली के तत्कालीन एसएसआइ मोहन चंद्र पांडे ने पूर्व ब्लाक ब्लाक संजय नेगी, आशा बिष्ट, विमला रावत, कपिल रावत समेत 20 लोगों पर रोहित को बचाने के दौरान टंकी की सीढ़ियों पर पुलिस का रास्ता रोकने, तोड़फोड़, भीड़ एकत्र करने, आत्मदाह का प्रयास करने व क्रिमिनल एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया था।

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विवेचना के दौरान दो लोगों का निधन हो गया था। यह पूरा मामला सिविल जज जूनियर डिविजन/न्यायिक मजिस्ट्रेट रामनगर की कोर्ट में चल रहा था। शासन की ओर से मुकदमा वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया था। जोशी ने बताया कि कोर्ट ने प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया है।

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