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धर्मांतरण और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से जुड़े कानूनों में किए गए संशोधनों को सरकार को लौटाने के बाद चर्चा में आए उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने अब पुलिस व्यवस्था को लेकर एक अहम संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि पुलिस से समाज को सबसे अधिक संयम, निष्पक्षता और जवाबदेही की अपेक्षा रहती है और विशेष रूप से महिला सशक्तीकरण से जुड़े मामलों में कानूनों का संवेदनशील और निष्पक्ष क्रियान्वयन बेहद आवश्यक है।

राज्यपाल शनिवार को लोक भवन से नई दिल्ली में आयोजित ग्लोबल काउंटर टेररिज्म काउंसिल (GCTC) के राष्ट्रीय सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित कर रहे थे।


प्रकाश सिंह फैसले के 20 वर्ष पूरे होने पर आयोजित हुआ सम्मेलन

यह राष्ट्रीय सम्मेलन सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक ‘प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ’ निर्णय के 20 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल गुरमीत सिंह ने ‘पुलिस सुधार @20 (प्रकाश सिंह निर्णय): विकसित भारत की ओर’ विषय पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार रखे।

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उन्होंने कहा कि पुलिस सुधार केवल प्रशासनिक आवश्यकता नहीं हैं, बल्कि ये लोकतांत्रिक शासन, जनविश्वास और भारत के दीर्घकालिक विकास की बुनियाद हैं। पुलिस राज्य की सत्ता की सबसे प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति होने के साथ-साथ नागरिकों के सबसे निकट रहने वाली संस्था भी है।


बदलते समय में पुलिस की भूमिका और अधिक संवेदनशील

राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि बदलते सामाजिक, कानूनी और संवैधानिक परिदृश्य में पुलिस की भूमिका पहले से कहीं अधिक जिम्मेदार और संवेदनशील हो गई है। विशेषकर महिलाओं, कमजोर वर्गों और वंचित समुदायों से जुड़े मामलों में कानून का मानवीय, निष्पक्ष और समयबद्ध क्रियान्वयन अनिवार्य है।

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उन्होंने कहा कि इससे न केवल पीड़ितों को न्याय मिलेगा, बल्कि समाज में कानून व्यवस्था के प्रति विश्वास भी मजबूत होगा


धर्मांतरण और यूसीसी संशोधनों को राज्यपाल ने लौटाया

गौरतलब है कि हाल ही में राज्यपाल ने सरकार द्वारा पेश किए गए दो अहम विधेयकों — जबरन धर्मांतरण और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से जुड़े कानूनों में जोड़े गए नए संशोधनों को बिना हस्ताक्षर किए सरकार को लौटा दिया था।

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लोक भवन की ओर से यह स्पष्ट किया गया कि विधेयकों में भाषायी और तकनीकी त्रुटियां पाई गई थीं, जिसके चलते उन्हें पुनर्विचार के लिए वापस किया गया।


अब दोबारा होगी विधायी प्रक्रिया

राज्यपाल द्वारा लौटाए गए संशोधनों के बाद अब पुष्कर सिंह धामी सरकार को इन विधेयकों पर दोबारा मंथन करना होगा। आवश्यक संशोधन और सुधार के बाद इन्हें पुनः विधायी प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ाया जाएगा।

राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में इस घटनाक्रम को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि ये कानून राज्य की सामाजिक और कानूनी संरचना से सीधे जुड़े हुए हैं।

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By Editor