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लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर उत्तराखंड में भी राजनीतिक माहौल गरमाने लगा है। लिहाजा हर सियासी दल को उन मुद्दों से दो चार होना पड़ेगा जो चुनाव के दौरान उनकी राह का रोड़ा बन सकते हैं।

ऐसा ही उत्तराखंड में एक बड़ा बहुचर्चित मुद्दा है अंकिता हत्याकांड। अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले पर पहले ही दिन से सियासत भी जमकर हुई। अब लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही एक बार फिर मामला गरमाता जा रहा है।

18 सितंबर 2022 को अंकिता का मामला सामने आया। मामले के सामने आते ही उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक्शन लेते हुए कई ठोस कदम उठाए और ऐसे निर्देश भी दिए जिससे लगा कि अंकिता को न्याय मिलेगा। लेकिन अंकिता के पिता वीरेंद्र सिंह भंडारी की मानें तो वह अब न्याय में देरी को वे बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। लोकसभा चुनाव से पहले वह न्याय होते हुए देखना चाहते हैं।उनकी बातों से साफ है कि चुनाव के समय ही शायद उनकी बात को गंभीरता से ली जाय और चुनाव के बाद कहीं ढील न दी जाय।

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खास बात ये है कि अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद प्रदेश में अब तक कोई बड़ा चुनाव सत्ताधारी दल के सामने नहीं आया। ये पहला बड़ा चुनाव होगा। क्योंकि मार्च 2022 में धामी की सरकार बनने के बाद सिंतबर 2022 में अंकिता हत्याकांड हुआ। जब उत्तराखंड की बेटी की बेरहमी से हत्या कर दी गई।

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पहली बार उत्तराखंड में लोग इस तरह एक बेटी को न्याय दिलाने के लिए सड़कों पर उतर आए। आनन फानन में सीएम ने तेज एक्शन लेते हुए एसआईटी का गठन भी किया। लेकिन जांच पर सवाल उठाते हुए अंकिता भंडारी के पिता वीरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा है कि इसके पीछे कई ताकत भर लोग हैं। जो उनके मददगारों को परेशानी में डाल रहे हैं।

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उन्होंने सरकार से कई मांग रखी है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर लोकसभा चुनाव की आचार संहिता से पहले उनको न्याय नहीं मिला तो अब एक पिता को मजबूरन सड़क पर उतरकर दहाड़ना पड़ेगा।माना जा रहा है कि ये मुदा न सिर्फ पौड़ी गढवाल बल्कि पूरे उत्तराखंड लोकसभा चुनाव में बहस का मुददा बनेगा। हालांकि इसका चुनाव पर कितना असर पडेगा। ये अनुमान लगाना मुश्किल है।