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गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर वीरता पुरुस्कार का ऐलान कर दिया गया है. 412 जांबाजों को सम्मानित किया गया है. 6 जांबाजों को कीर्ति चक्र, 15 को शौर्य चक्र दिया गया है.

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर वीरता पुरुस्कार का ऐलान कर दिया गया है. 412 जाबाजों को सम्मानित किया गया है. 6 जांबाजों को कीर्ति चक्र, 15 को शौर्य चक्र दिया गया है. हर साल इसी तरह गणतंत्र दिवस से पहले राष्ट्रपति द्वारा वीरता पुरुस्कार दिए जाते हैं. जिन्हें इस बार वीरता पुरुस्कार से सम्मानित किया गया है, वो नाम इस प्रकार से हैं-

कीर्ति चक्र

1. मेजर शुभांग, डोगरा

2. एनके जितेंद्र सिंह, राजपूत

शौर्य चक्र

1. मेजर अदित्य भदौरिया, कुमाऊं

2. कैप्टन अरुण कुमार, कुमाऊं

3. युद्धवीर सिंह, मेकेनिकल INF

4. कैप्टन राजेश टीआर, पैरा (SF)

5. एनके जसबीर सिंह, JAK RIF (POSTHUMOUS)

6. विकास चौधरी, JAK RIF

जानकारी के लिए बता दें कि इस साल CRPF के जांबाजों को सबसे ज्यादा वीरता पुरुस्कार मिले हैं. 48 पुलिस मेडल CRPF जवानों को दिए गए हैं. इसके अलावा 14 पुलिस मेडल ऑफ गैलेंट्री भी बांटे गए हैं. वहीं इन पुरस्कारों के साथ 29 परम विशिष्ट सेवा मेडल दिए गए हैं, 3 उत्तम युद्ध सेवा मेडल, 32 अति विशिष्ट सेवा मेडल, 8 युवा सेवा मेडल, 92 सेना मेडल, 79 विशिष्ट सेवा मेडल दिए गए हैं. बार टू विशिष्ट सेवा मेडल भी 2 जांबाजों को दिया गया है. दिवंगत कमांडर निशांत सिंह को नवंबर 2020 में मिग-29के विमान दुर्घटना में अपने प्रशिक्षु पायलट की जान बचाने के लिए नौसेना पदक (शौर्य) (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया.

अब हर सम्मान का अपना महत्व है, अपनी कहानी है. शौर्य चक्र की बात करें तो दुश्मन का डंट कर सामना करने के लिए यह सम्मान जीवित या मृत योद्धा को दिया जाता है. यह सम्मान थल, वायु या नौसेना के किसी भी पुरुष या महिला को, या फिर किसी रिजर्व बल, टेरिटोरियल आर्मी के जवान को उसकी बहादुरी के लिए मिल सकता है. इसके अलावा आर्म्ड फोर्सेस की नर्सिंग सर्विस को भी यह सम्मान दिया जाता है.

कीर्ति चक्र तीनों सेनाओं के उन जवानों, आर्म्ड फोर्सेस की मेडिकल टीम या रिजर्व बल, टेरिटोरियल आर्मी आदि के जवानों को दिया जाता है जो जब दुश्मन के सामने बहादुरी दिखाते हैं. वहीं बहादुरी की सारी सीमाएं पार करके दुश्मन को मौत के घाट उतारने वाले या फिर किसी युद्ध का दिशा बदलने वाले ‘परमवीर’ योद्धाओं को यह सम्मान दिया जाता है. इस मेडल पर चार ‘इंद्र के वज्र’ बने होते हैं.

 

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