हल्द्वानी। कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत 6 सितंबर को पुलिस के खिलाफ धरने पर बैठे। उनका आरोप है कि कोतवाली पुलिस ने भाजपा पार्षद अमित बिष्ट के साथ अपराधियों जैसा बर्ताव किया, घर से उठाकर थाने ले गई और पूरी रात बैठाए रखा। पार्षद ने बताया कि स्ट्रीट लाइट विवाद के बाद होटल पर पथराव हुआ और वायरल वीडियो के आधार पर उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाया गया। विधायक ने चेतावनी दी है कि दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई और कोतवाली स्टाफ के तबादले तक धरना जारी रहेगा।
हल्द्वानी। भाजपा के वरिष्ठ नेता और कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत को 6 सितंबर को आखिरकार धरने पर बैठना पड़ा। यह घटना राजनीतिक हलकों में गहरी चर्चा का विषय बनी हुई है, क्योंकि भाजपा की अपनी ही सरकार में पुलिस-प्रशासन द्वारा पार्टी के वरिष्ठ विधायक और कार्यकर्ताओं की अनदेखी ने सवाल खड़े कर दिए हैं।
धरने की पृष्ठभूमि
सूत्रों के अनुसार, बंशीधर भगत ने कई बार स्थानीय पुलिस प्रशासन और जिम्मेदार अफसरों से कार्यकर्ताओं की समस्याओं को हल करने और उनके सम्मान की रक्षा करने की बात कही थी। लेकिन विधायक के अनुसार, उनकी बातों पर लगातार अनदेखी की गई। स्थिति इतनी बिगड़ी कि उन्हें अपने ही क्षेत्र में 6 सितंबर को धरने पर बैठना पड़ा।
प्रशासन की रवैये पर सवाल
इस घटना ने भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। सामान्यतः सत्ता पक्ष के विधायक की बात प्रशासन तुरंत सुनता है, लेकिन इस बार हल्द्वानी में कोतवाली पुलिस के रवैये ने सवाल खड़े कर दिए। यह भी चर्चा में रहा कि आखिर किस कोतवाल ने विधायक की बातों को नज़रअंदाज़ किया, जिससे मामला बढ़ते-बढ़ते धरने तक पहुंच गया।
पुलिस की भूमिका और हस्तक्षेप
धरने की सूचना मिलते ही एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा मौके पर पहुंचे और बंशीधर भगत से बातचीत कर उन्हें समझाने की कोशिश की। उनकी सक्रियता से स्थिति काबू में आई और धरना समाप्त हुआ। हालांकि, यह सवाल अब भी अनुत्तरित है कि सत्ता में बैठी सरकार के विधायक की आवाज़ जब प्रशासन नहीं सुन रहा तो आम भाजपा कार्यकर्ता या आम जनता की समस्याओं को कैसे सुना जाएगा?
कार्यकर्ताओं के सम्मान का मुद्दा
बंशीधर भगत का स्पष्ट कहना है कि पार्टी कार्यकर्ताओं का सम्मान सर्वोपरि है, और यदि लोकसभा- विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक और वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी सत्ता में रहते हुए होगी, तो विपक्ष में रहते समय प्रशासन से और क्या उम्मीद की जा सकती है। कार्यकर्ताओं और प्रतिष्ठान से जुड़े नेताओं का यह दर्द समाज के हर वर्ग के लिए सोचने का विषय बन गया है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
धरना मामले में विपक्ष, खासतौर पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार और पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। विपक्षी नेता सुमित हृदयेश ने सार्वजनिक रूप से कहा कि भाजपा सरकार ने प्रदेश में “सबका विकास” के बजाय “सबका विनाश” को ही अपना एजेंडा बना लिया है और सत्तारूढ़ दल के विधायक की ही अनदेखी इस बात का प्रमाण है। कांग्रेस नेताओं ने राज्य और ज़िलास्तर पर प्रशासनिक अराजकता और पुलिस की लापरवाही पर सवाल उठाए और मांग की है कि जिम्मेदार अफसरों पर तत्काल कार्रवाई की जाए
समाज और राजनीति में संदेश
यह धरना भाजपा संगठन और कार्यकर्ताओं में असंतोष पैदा करने वाला साबित हो सकता है। समाज के अन्य वर्गों में भी यह चर्चा तेज है कि जब सत्ता पक्ष का जनप्रतिनिधि अनसुना हो सकता है, तो आम नागरिक की समस्याओं पर प्रशासन कितना गंभीर है।





