महेश शर्मा का कहना है कि वह पीएम नरेन्द्र मोदी से प्रेरित हैं। मोदी की वजह से आज दुनिया में भारत की छवि सुधरी है। भारत को विश्व गुरु के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने हिंदुओं के सम्मान में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। जहां तक कांग्रेस का सवाल है कि वहां पर आम कार्यकर्ता को महत्व नहीं मिलता।।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले महेश शर्मा ने कुमाऊं में कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका दे दिया है। चार बार कांग्रेस के प्रदेश महासचिव रहे महेश एनडी तिवारी सरकार में दर्जा राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। रविवार को देहरादून में उन्होंने 57 पंचायत प्रतिनिधियों संग भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली।
सीएम पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में महेश शर्मा ने यह बड़ा कदम उठाया है। कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे महेश को प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार, राज्य सभा सदस्य नरेश बंसल ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण करवाई। महेश शर्मा का कहना है कि वह पीएम नरेन्द्र मोदी से प्रेरित हैं। मोदी की वजह से आज दुनिया में भारत की छवि सुधरी है। भारत को विश्व गुरु के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने हिंदुओं के सम्मान में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। जहां तक कांग्रेस का सवाल है कि वहां पर आम कार्यकर्ता को महत्व नहीं मिलता। धरातल पर काम नहीं करने वाले को प्रत्याशी बना दिया जाता है। यही कारण है कि उन्होंने कांग्रेस को छोड़ भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है।
मतदाताओं में मजबूत पकड़
महेश शर्मा का कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के बीच मजबूत पकड़ रही है। उन्होंने इस सीट से तीन बार वर्ष 2012, 2017 और 2022 में विधानसभा चुनाव मजबूती से लड़ा। दो बार निर्दलीय और एक बार कांग्रेस के टिकट से लड़े।
दरअसल, नैनीताल-ऊधम सिंह नगर सीट से कांग्रेस की ओर से प्रकाश जोशी को प्रत्याशी बनाए जाने से वह नाखुश थे। इन दोनों के बीच पहले से ही प्रतिद्वंद्विता रही है। यह भी माना जा रहा है कि जोशी को प्रत्याशी तय करने में महेश शर्मा को कांफिडेंस में नहीं लिया गया।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले महेश शर्मा के इस निर्णय से कांग्रेस नेता भी चकित हैं। क्योंकि कालाढूंगी विधानसभा सीट पर पहले से ही विधायक बंशीधर भगत का मजबूत गढ़ है। शर्मा के कांग्रेस छोड़ने से इस सीट पर भाजपा और मजबूत दिखने लगी है। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश जोशी इसी विधानसभा क्षेत्र से आते हैं।
चार दशक से यशपाल के करीबी, मनाने का नहीं पड़ा असर
महेश शर्मा वर्ष 1980 से कांग्रेस में हैं। जमीनी स्तर के कार्यकर्ता रहे हैं। लंबे समय तक नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के करीबी रहे हैं। आर्य के चुनावों में रणनीतिकार की भूमिका भी निभाई है। महेश शर्मा के पार्टी छोड़ने की सूचना से ही आर्य, विधायक सुमित हृदयेश ने मनाने की भी कोशिश की लेकिन वह नहीं माने।
महेंद्र ने किया सेतु का काम
भाजपा नेता महेंद्र अधिकारी कांग्रेस महासचिव महेश शर्मा को पार्टी में लाने के लिए सेतु का काम करते रहे। उन्होंने इस संबंध में लगातार वरिष्ठ नेताओं से बातचीत कराई।