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लालकुआं/बिन्दुखत्ता (नैनीताल):

बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव बनाने का सपना संजोए बैठे हजारों परिवारों को सरकार ने अब तक का सबसे बड़ा और करारा झटका दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव घोषित करने की जो ‘बहुप्रतीक्षित घोषणा’ की गई थी, उसे शासन स्तर पर विलोपित (रद्द) कर दिया गया है। इस सनसनीखेज खुलासे के बाद समूचे क्षेत्र में सरकार के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश और असंतोष की लहर दौड़ गई है।

RTI से खुला ‘हवा-हवाई’ घोषणा का राज

​यह चौंकाने वाली जानकारी बिन्दुखत्ता निवासी उमेश भट्ट द्वारा सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई सूचना में सामने आई है। दस्तावेज़ बताते हैं कि मुख्यमंत्री धामी ने 20 फरवरी 2024 को बड़े तामझाम के साथ बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव बनाने की घोषणा की थी। फाइलें चलीं, जिलास्तरीय समिति से अनुमोदन भी हुआ, लेकिन 2 सितंबर 2024 को शासन ने गुपचुप तरीके से इस घोषणा को फाइलों से ही हटा दिया।

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क्यों मारी गई जनभावनाओं पर ‘कुल्हाड़ी’?

​शासन का तर्क है कि बिन्दुखत्ता को राजस्व ग्राम घोषित करने के लिए वन विभाग और भारत सरकार से अनापत्ति (NOC) लेना अनिवार्य है, जिसमें जटिल कानूनी प्रावधान और लंबा समय लग सकता है। इसी ‘देरी’ को ढाल बनाकर राजस्व विभाग ने 1 जुलाई 2024 को मुख्यमंत्री कार्यालय से इस घोषणा को विलोपित करने का अनुरोध किया, जिसे मुख्यमंत्री कार्यालय ने स्वीकार कर लिया। यानी जिस वादे पर जनता ने भरोसा किया, उसे प्रशासनिक पेचीदगियों के नाम पर दफन कर दिया गया।

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पूर्व मंत्री हरीश दुर्गापाल की ललकार: “यह जनता से गद्दारी है”

​इस निर्णय पर पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे बिन्दुखत्ता की भोली-भाली जनता के साथ ‘खुली धोखाधड़ी’ करार दिया। दुर्गापाल ने सख्त लहजे में कहा:

“सरकार ने हजारों परिवारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। घोषणा करके मुकर जाना इस सरकार का असली चरित्र है। कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी, हम सड़कों पर उतरकर जबरदस्त आंदोलन करेंगे और आने वाले चुनाव में जनता इस जनविरोधी सरकार को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाकर करारा जवाब देगी।”

 

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भविष्य के गर्त में बिन्दुखत्ता का हक

​प्रशासनिक और नीतिगत निर्णयों के बीच बिन्दुखत्ता का मुद्दा एक बार फिर अधर में लटक गया है। एक तरफ जहां सरकार इसे तकनीकी रूप से कठिन बता रही है, वहीं दूसरी तरफ इसे आगामी चुनावों से पहले एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा माना जा रहा है

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