खबर शेयर करें -

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को लेकर स्थिति साफ हो गई है। पंचायती राज विभाग ने त्रिस्तरीय पंचायत को भी प्रशासकों के हवाले कर दिया है। हरिद्वार जिले को छोड़ 12 जिलों में ग्राम पंचायतों का 27 नवंबर और क्षेत्र पंचायतों का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त होने जा रहा है।

हरिद्वार जिला छोड़ प्रदेश के 12 जिलों में ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 27 नवंबर और क्षेत्र पंचायतों का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हो रहा है। जबकि जिला पंचायतों का कार्यकाल 1 दिसंबर को समाप्त होगा। ऐसे में फिलहाल चुनाव कराने को लेकर पेंच फंस गया है।

यह भी पढ़ें -  💰 उत्तराखंड के विकास को धामी सरकार का बड़ा तोहफ़ा! 🚧 ₹58 करोड़ से ज़्यादा की योजनाओं को हरी झंडी ✅

पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव ने आदेश जारी कर दिए हैं। जबकि नगर निकायों का कार्यकाल दिसंबर 2023 में समाप्त होने के बाद प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। जारी किए गए आदेश के मुताबिक, राज्यपाल, उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 ( उत्तराखंड पंचायतीराज (संशोधन) अधिनियम, 2020) की धारा 130 की उपधारा 6 के अधीन दिए गए शक्ति का इस्तेमाल करते हुए उत्तराखंड राज्य की सभी गठित ग्राम पंचायतों (हरिद्वार जिले को छोड़कर) का कार्यकाल 27 नवंबर को समाप्त हो रहा है।

यह भी पढ़ें -  🔥 "कांग्रेस में अब सिर्फ 5 साल निष्ठा से काम करने वालों को ही बड़ी जिम्मेदारी" – कैप्टन अजय सिंह यादव का बड़ा बयान

ऐसे में ग्राम पंचायतों के प्रशासक के रूप में सहायक विकास अधिकारी (एडीओ) के कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से अगले 6 महीने से अनधिक समय के लिए या फिर नई ग्राम पंचायतों के गठन होने तक नियुक्त करने के लिए जिलाधिकारी को अधिकार दिए हैं। इसी तरह क्षेत्र पंचायतों का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हो रहा है। जिसके चलते क्षेत्र पंचायतों के लिए उप जिलाधिकारियों (एसडीएम) को नियुक्त किए जाने के लिए संबंधित जिलाधिकारी को अधिकृत किया गया है।

यह भी पढ़ें -  🚁 सड़कें बंद, लेकिन परीक्षा जरूरी! राजस्थान के 4 छात्र हेलीकॉप्टर से पहुंचे मुनस्यारी, खर्च हुए 40 हजार रुपए

पंचायती राज अधिनियम में व्यवस्था की गई है कि पंचायतों के पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से 15 दिन पहले या फिर बाद में चुनाव कराएं। लेकिन अगर किसी कारणवश चुनाव की स्थिति नहीं बन पा रही है तो अधिकतम 6 महीने तक के लिए प्रशासक बैठाए जा सकते है।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad