भाजपा ने दिल्ली में 5 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है. पार्टी ने मनोज तिवारी पर भरोसा जताते हुए उन्हें उत्तर पूर्वी दिल्ली से चुनावी मैदान में उतारा है, जबकि 4 मौजूदा सांसदों के टिकट काटे गए हैं, उनकी जगह पर नए कैंडिडेट्स को मौका दिया गया है.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. इसमें 195 नामों का ऐलान किया गया है. पहली लिस्ट जारी करते हुए बीजेपी ने 33 मौजूदा सांसदों के टिकट काटे हैं और उनकी जगह पर नए चेहरों को मौका दिया है. बात राजधानी की करें तो भाजपा ने दिल्ली में 5 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है. पार्टी ने मनोज तिवारी पर भरोसा जताते हुए उन्हें उत्तर पूर्वी दिल्ली से चुनावी मैदान में उतारा है, जबकि 4 मौजूदा सांसदों के टिकट काटे गए हैं, उनकी जगह पर नए कैंडिडेट्स को मौका दिया गया है.
बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए 2 बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन की टिकट काटकर प्रवीण खंडेलवाल को चांदनी चौक लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. जबकि पश्चिमी दिल्ली सीट से 2 बार के सांसद परवेश सिंह वर्मा की जगह कमलजीत सहरावत को टिकट दिया है. वहीं, दक्षिणी दिल्ली से बीजेपी ने रमेश बिधूड़ी का भी टिकट दिया है. उनकी जगह रामवीर सिंह बिधूड़ी को पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. बता दें कि रमेश बिधूड़ी ने पिछली साल संसद में दानिश अली के खिलाफ विवादित टिप्पणी की थी, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया था.
भाजपा ने दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को नई दिल्ली लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. पार्टी ने इस सीट से मीनाक्षी लेखी का टिकट काटा है. बता दें कि मीनाक्षी वर्तमान में केंद्रीय मंत्री भी हैं. मतलब साफ है कि चुनाव से पहले पार्टी ने परवेश वर्मा, रमेश बिधूड़ी, मीनाक्षी लेखी और हर्षवर्द्धन का टिकट काटकर पदानुक्रम में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है. इन 5 कारणों से समझिए कि 4 सांसदों के टिकट पर कैंची क्यों चली.
मौजूदा सांसदों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर
बीजेपी की ओर से किए गए इस बड़े बदलाव के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं. लेकिन सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है एंटी इनकंबेंसी. क्योंकि परवेश वर्मा, रमेश बिधूड़ी, मीनाक्षी लेखी और हर्षवर्द्धन सभी अपने-अपने एक दशक तक सांसद रहे हैं, जिससे संभावित रूप से मतदाताओं के बीच सत्ता विरोधी भावना पैदा हुई है.
विधानसभा चुनाव 2025 और केजरीवाल को चुनौती
दिल्ली में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं. दिल्ली में बीजेपी के सामने केजरीवाल बड़ी चुनौती हैं. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि जिन सांसदों के टिकट काटे गए हैं, उन्हें केजरीवाल का मुकाबला करने के लिए नई भूमिकाएं मिल सकती हैं.
विवादित बयान देने वालों से किनारा
बीजेपी ने विवाद में रहने वाले सांसदों से किनारा कर लिया है. दरअसल, रमेश बिधूड़ी और परवेश वर्मा अपने विवादास्पद बयानों के कारण कई विवादों में घिरे रहे हैं. उदाहरण के लिए बिधूड़ी ने पिछले साल संसद के भीतर दानिश अली की खुलेआम आलोचना की थी. इसके चलते विवाद खड़ा हुआ था. वहीं परवेश वर्मा भी अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं. लिहाजा पार्टी ने टिकट बंटवारे से पहले इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि इस बार जनाधार वाले नेताओं को मौका दिया जाए, नए चेहरे मैदान में उतारे जाएं.
नई लड़ाई के लिए नए चेहरे और महिलाओं पर भरोसा
लोकसभा चुनाव में बीजेपी जनता के सामने नए चेहरों को पेश करना चाहती है. इसमें महिला उम्मीदवारों को भी शामिल किया गया है. माना जा रहा है कि इसके पीछे पार्टी का मकसद लैंगिक समानता को बढ़ावा देना हो सकता है. उदाहरण के लिए बांसुरी स्वराज, जिन्हें हाई-प्रोफाइल नई दिल्ली सीट से टिकट दिया गया है, बांसुरी दिल्ली की पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज की बेटी हैं, उनके अलावा एक अन्य महिला उम्मीदवार कमलजीत सहरावत पर पार्टी ने भरोसा जताया है. वह जाट होने के साथ ही साउथ एमसीडी की पूर्व मेयर हैं, उन्हें पार्टी ने पश्चिमी दिल्ली में चुनावी मैदान में उतारा है.
जातीय और क्षेत्रीय संतुलन स्थापित करना
कैंडिडेट्स के नामों के ऐलान में बीजेपी ने जातीय संतुलन बनाए रखने के प्रयास भी किए है, जो कि साफ तौर पर दिखाई दे रहे हैं. दरअसल, रामवीर सिंह बिधूड़ी गुर्जर हैं, जबकि कमलजीत सहरावत जाट हैं. इसके अलावा चांदनी चौक से उम्मीदवार प्रवीण खंडेलवाल व्यापारियों के अधिकारों की वकालत करने के लिए जाने जाते हैं और वह बनिया समुदाय से आते हैं. सबसे कम उम्र की उम्मीदवार 39 वर्षीय बांसुरी स्वराज पंजाबी ब्राह्मण हैं और मनोज तिवारी पूर्वांचली ब्राह्मण हैं.