बीजेपी प्रत्याशी आशा नौटियाल ने केदारनाथ उपचुनाव में प्रचंड जीत दर्ज की है। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत समेत पांच उम्मीदवारों को हराया है।
उत्तराखंड में केदारनाथ सीट पर विधानसभा का उपचुनाव एक बार फिर बीजेपी की झोली में गया है। यहां भाजपा उम्मीदवार आशा नौटियाल ने 5623 वोटों से जीत हासिल की है। इससे पहले भी ये सीट बीजेपी के पास थी और शैला रानी रावत के निधन से खाली हुई थी। दूसरे स्थान पर कांग्रेस के मनोज रावत को 18191 वोट मिले।
इस सीट पर निर्दलीय त्रिभुवन सिंह को मिली 9303 वोटों ने बीजेपी की राह आसान की। बद्रीनाथ उपचुनाव हारने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए प्रतिष्ठा के लिए सीट बनी केदारनाथ सीट पर आशा नौटियाल की जीत के पीछे, सीएम धामी की चुनावी रणनीति कामयाब रही। बताया गया है कि तमाम दावेदारों के बीच श्री धामी ने महिला उम्मीदवार पर ही विश्वास जताया, क्योंकि इस सीट पर राज्य बनने के बाद बीजेपी ने हमेशा महिला को ही उम्मीदवार बनाया दो बार आशा नौटियाल यहां से विधायक रहीं थी।
एक बार चुनाव हारने के बाद यहां से शैला रानी रावत को टिकट दिया था और वे 2022 में विधायक बनीं, उनके निधन के बाद एक बार फिर बीजेपी ने आशा पर ही अपनी जीत की आशा जताई उन्हें 18191 वोट मिले। श्री धामी ने अन्य दावेदारों कुलदीप रावत और शैला रानी रावत की पुत्री ऐश्वर्य रावत को अपने साथ प्रचार मंचों पर खड़ा किया और प्रतिदिन उनकी टीम उनके साथ प्रचार अभियान में जुटी रही। आशा नौटियाल की जीत के पीछे केदारनाथ के ब्राह्मण तीर्थ पुरोहितों पंडा समाज के द्वारा दिया गया समर्थन भी मायने रखता है, जिसके लिए सीएम धामी ने व्यक्तिगत प्रयास किए।
कांग्रेस ने केदारनाथ से स्वर्ण चोरी के दुष्प्रचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दिल्ली में केदारनाथ मंदिर बनाए जाने के मामले को भी कांग्रेस ने मुद्दा बनाया लेकिन केदारनाथ की सनातनी मतदाताओं ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। केदारनाथ के तीर्थ उद्धार का काम पीएम मोदी की देखरेख में हो रहा है और सीएम धामी बराबर ये कहते आए कि जबतक यहां कोई विधायक नहीं आ जाता तब तक वे स्वयं यहां के विधायक के रूप में काम करते रहेंगे।
ये बात भी मतदाताओं में गहराई और उसने कांग्रेस को नकार दिया। मतगणना के दौरान एक बार ऐसा भी लगा जब निर्दलीय उम्मीदवार त्रिभुवन सिंह, कांग्रेस के मनोज रावत से आगे निकल गए थे। बाद में कांग्रेस ने लीड बनाई। खास बात ये कि पिछली बार की विधानसभा से बीजेपी को ज्यादा वोट मिले। प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी केदारनाथ विधानसभा की इस सीट पर संघ परिवार भी पूरी ताकत से जुटा और बीजेपी के उम्मीदवार को जिताने के लिए खासी मेहनत की।