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देहरादून: उत्तराखंड में जहां एक ओर तमाम नेता दायित्व की आस लगाए बैठे हैं तो वहीं वर्तमान समय में तमाम नेताओं को दिए गए दायित्व का कार्यकाल भी पूरा हो गया है. हाल ही में नगर निकाय चुनाव को लेकर लागू आदर्श आचार संहिता समाप्त हो गई है. साथ ही समान नागरिक संहिता लागू होने और राष्ट्रीय खेलों के शुभारंभ के बाद एक बार फिर नेताओं के दायित्व का मामला तूल पकड़ने लगा है.

साल 2022 में धामी की सरकार बनने के बाद अभी तक दायित्वधारियों की 2 सूची ही जारी हुई है. जबकि, दायित्व लेने की आस लगाए नेताओं की एक लंबी लिस्ट है. ऐसे में क्या है फिलहाल दायित्व बंटवारे की संभावना? किन-किन नेताओं का दायित्व हो चुका है समाप्त?

बीकेटीसी, राज्य महिला आयोग और बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष पद के कार्यकाल समाप्त: उत्तराखंड में निकाय चुनाव समाप्त होने के बाद अब एक बार फिर दायित्व बंटवारे की सुगबुगाहट तेज हो गई है. इसकी एक वजह ये भी है क्योंकि, जनवरी महीने में बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष पद का कार्यकाल समाप्त हो गया है.

इसके अलावा राज्य महिला आयोग और बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष पद का कार्यकाल भी जनवरी महीने में समाप्त हो गया है. ये तीनों पद ही काफी महत्वपूर्ण हैं, जिन्हें लंबे समय तक खाली नहीं रखा जा सकता है. यही वजह है कि एक बार फिर नेताओं में दायित्व बंटवारे की आस जग गई है.

दरअसल, साल 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले जब धामी सरकार ने उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड को भंग किया था. उसके बाद बदरी केदार मंदिर समिति फिर से अस्तित्व में आ गई थी. लिहाजा, बीजेपी के वरिष्ठ नेता अजेंद्रअजय को बदरी केदार मंदिर समिति का अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन 3 साल बाद जनवरी महीने में अजेंद्र अजय का कार्यकाल समाप्त हो गया है.

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वर्तमान समय में शीतकालीन यात्रा चल रही है तो वहीं दो महीने बाद चारधाम यात्रा 2025 भी शुरू हो जाएगी. जिकसे चलते संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही बीकेटीसी के अध्यक्ष पद पर किसी नेता को दायित्व सौंपा जा सकता है. ये भी चर्चा है कि बीकेटीसी के पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र अजय को दोबारा जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.

इसके साथ ही साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 8 जनवरी को उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष पद पर बीजेपी नेता कुसुम को जिम्मेदारी सौंपी गई थी. जिनका कार्यकाल जनवरी 2025 में समाप्त हो गया है. ऐसे में राज्य महिला आयोग के पद पर भी नई जिम्मेदारी दी जानी है.

इसी कड़ी में 8 जनवरी 2022 में ही उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष पद पर बीजेपी नेता गीता को दायित्व सौंपा गया था. जिनका भी कार्यकाल जनवरी महीने में समाप्त हो चुका है. ये दोनों ही आयोग काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि, ये सीधे जनता से जुड़े हुए हैं. यही वजह है कि जल्द ही इन दोनों आयोगों में अध्यक्ष पद पर नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.

अब दायित्व धारियों की तीसरी सूची का इंतजार: हाल ही में हुए नगर निकाय चुनाव में बीजेपी ने 11 नगर निगम सीटों में से 10 सीटों पर जीत हासिल की है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि किसी बड़ी जीत के बाद अब बीजेपी सरकार नेताओं को तोहफा देने के लिए दायित्वों की तीसरी सूची जारी कर सकती है.

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हालांकि, दिल्ली में चल रहे विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनावी प्रचार प्रसार में व्यस्त रहे, लेकिन अब वे भी उत्तराखंड वापस आ गए हैं. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही दायित्व धारियों की तीसरी सूची राज्य सरकार जारी कर सकती है. बहरहाल, बीजेपी के तमाम नेता दायित्व बंटवारे की आस लगाए बैठे हैं.

बीजेपी विधायक अरविंद पांडेय ने कही ये बात? वहीं, इस मामले पर बीजेपी विधायक एवं पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय का कहना है कि नेताओं की दायित्व के रूप से सम्मान दिया जाना, ये तो बहुत बाद की बात है, लेकिन विभागों में तमाम ऐसे काम होते हैं, जिसकी योजनाओं को धरातल पर लोगों तक पहुंचाने और आम जनता की सुनवाई के लिए ये पद आवश्यक होते है. ऐसे में इसका सरकार संज्ञान लेगी. हालांकि, सरकार समय-समय संज्ञान लेती रही हैं. साथ ही तमाम लोगों को दायित्व दिया गया है. लिहाजा, सरकार जब आवश्यकता समझेगी तो दायित्व देगी.

क्या बोले राजनीतिक जानकार? वहीं, राजनीतिक जानकार जय सिंह रावत का कहना है कि नेताओं को दायित्व सौंपना मुख्यमंत्री के लिए एक बड़ी चुनौती होती है. क्योंकि, दायित्वों के लिए तमाम नेता प्रयास और सिफारिश करते हैं. ऐसे में जब तक दायित्वों की सूची जारी नहीं हो जाती है, तब तक नेता यही सोचते हैं कि क्या पता उनका नंबर आ जाए, इसके लिए वो सरकार और संगठन से बना कर रखते हैं.

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दायित्व के लिए हाथ पैर मार रहे नेता: अगर उनकी संभावनाएं समाप्त हो जाती है तो फिर नेता पार्टी में अंदरखाने विद्रोह की स्थिति में आ जाते हैं. साथ ही कहा कि हाल ही में जो तीन दायित्व के पद खाली हुए हैं, वो काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन इन पदों के लिए तमाम नेता हाथ पैर मार रहे हैं. इन पदों पर देरी की मुख्य वजह यही प्रतीत हो रहा है कि अभी ये तय नहीं हो पा रहा है कि किसको दायित्व दिया जाए?

अब तक धामी सरकार दो बार खोल चुकी दायित्वों की पोटली: बता दें कि साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद धामी सरकार दायित्वधारियों की दो सूची जारी कर चुकी है. दायित्वधारियों की पहली सूची 2023 को जारी हुई थी. उस दौरान धामी सरकार ने 10 नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियां से नवाजा था. इसके बाद 2023 को राज्य सरकार ने दूसरी सूची जारी की थी.

दूसरी सूची में 11 नेताओं को दायित्व सौंपा गया था. जिसके बाद से अभी तक दायित्व को लेकर कोई सूची जारी नहीं की गई है. जिसके चलते बीजेपी के तमाम नेता दायित्व की आस लगाए बैठे हैं. ऐसे में कब तक दायित्वधारियों की तीसरी सूची जारी होती है ये तो भविष्य के गर्त में है? लेकिन नेताओं में सिफारिश करनी शुरू कर दी है.