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बिन्दुखत्ता (नैनीताल)/ संवाददाता:

उत्तराखंड की सैन्य भूमि एक बार फिर केंद्र सरकार की ‘अग्निवीर योजना’ के खिलाफ विरोध की ज्वाला से सुलग उठी है। आज बिन्दुखत्ता स्थित शहीद स्मारक पर कांग्रेस के पूर्व सैनिक विभाग के तत्वावधान में एक विशाल जनसभा और पदयात्रा का आयोजन किया गया। इस दौरान कांग्रेस नेताओं ने दो टूक शब्दों में कहा कि अग्निवीर योजना युवाओं के सपनों पर प्रहार और देश की सुरक्षा के साथ ‘गंभीर खिलवाड़’ है।

शहीद स्मारक से सत्ता को चुनौती

​कार्यक्रम का आगाज शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देकर और उनके परिजनों को सम्मानित कर किया गया। शहीदों के आंगन में हुई इस जनसभा का संदेश स्पष्ट था— “जो सेना देश की रक्षा करती है, उसे अनिश्चितता के भंवर में नहीं धकेला जा सकता।”

यशपाल आर्य का तीखा हमला: “सदन से सड़क तक मचेगा संग्राम”

​नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए इसे ‘विश्वासघात’ करार दिया। उन्होंने गर्जना करते हुए कहा:

“सरकार ने सेना को ठेका प्रथा की व्यवस्था बना दिया है। चार साल की नौकरी के बाद युवा कहां जाएगा? हम चैन से तब तक नहीं बैठेंगे जब तक पुरानी स्थायी भर्ती प्रक्रिया और पेंशन व्यवस्था को बहाल नहीं कर दिया जाता। कांग्रेस इस लोकतांत्रिक लड़ाई को सदन से लेकर सड़क तक लड़ती रहेगी।”

 

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सैन्य दिग्गजों ने उठाए तकनीकी सवाल

​रिटायर्ड कर्नल राम रतन नेगी ने सैन्य अनुभव का हवाला देते हुए कहा कि सेना अनुभव और अटूट अनुशासन से चलती है, न कि अल्पकालिक अनुबंधों से। उन्होंने तर्क दिया कि मात्र 4 साल की सेवा सैन्य गरिमा और रणनीतिक मजबूती के विरुद्ध है।

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प्रमुख उपस्थिति और जनसमर्थन

​जिला अध्यक्ष कुंदन मेहता और राहुल छिलवाल के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ताओं और पूर्व सैनिकों ने इस पदयात्रा में भाग लिया। पूरी बिन्दुखत्ता ‘अग्निवीर योजना वापस लो’ के नारों से गूंज उठी। वक्ताओं ने एक स्वर में मांग की कि युवाओं को बेरोजगारी की आग में झोंकने वाली इस योजना को तत्काल वापस लिया जाए।

अग्रसर भारत की कलम से: यह प्रदर्शन केवल राजनीति नहीं, बल्कि देवभूमि के उन हजारों युवाओं की आवाज है जो देश सेवा का सपना आंखों में लिए सुबह 4 बजे मैदानों में दौड़ लगाते हैं। क्या चार साल की ‘नौकरी’ उनके इस जज्बे का सही मोल है? यह सवाल आज बिन्दुखत्ता की सड़कों पर गूंज रहा है।

सैन्य विशेषज्ञों का सकारात्मक दृष्टिकोण:

अग्निवीर योजना के समर्थकों और सैन्य विशेषज्ञों का तर्क है कि यह कदम भारतीय सेना को अधिक ‘युवा और तकनीक-सक्षम’ बनाने की दिशा में क्रांतिकारी है। ४ साल की सेवा के बाद जब युवा बाहर आएंगे, तो वे न केवल अनुशासित होंगे, बल्कि सेना के कठोर प्रशिक्षण से हर क्षेत्र में निपुण और दक्ष भी बन चुके होंगे। सरकार द्वारा इन युवाओं को पुलिस, अर्धसैनिक बलों और कॉरपोरेट सेक्टर में विशेष वरीयता और आरक्षण का लाभ दिया जाएगा, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा। इस योजना का मूल उद्देश्य कम उम्र में अधिक से अधिक युवाओं को देश सेवा का अवसर प्रदान करना और उनके भीतर राष्ट्रवाद की भावना भरना है। इसके साथ ही, चार साल बाद मिलने वाला ‘सेवा निधि’ पैकेज उन्हें स्वरोजगार और उच्च शिक्षा के लिए एक मजबूत आर्थिक आधार भी प्रदान करेगा।