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देहरादून: निजी स्कूलों में छात्रों के बड़ी संख्या में फेल होने के मामले पर मुख्य शिक्षा अधिकारी अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे. उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस संदर्भ में शिक्षा विभाग को निर्देश जारी किए हैं. जबकि स्कूल को भी इन छात्रों की दोबारा परीक्षा लिए जाने के लिए कहा गया है.

उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पास पहुंची एक शिकायत ने सभी को हैरान कर दिया है. शिकायत में यह दावा किया गया कि करीब 107 छात्रों में से करीब 45 छात्रों को 11वीं कक्षा में फेल कर दिया गया. इतनी बड़ी संख्या में छात्रों के फेल होने की बात सामने आते ही आयोग फौरन हरकत में आ गया और इस मामले पर शिक्षा विभाग के साथ ही स्कूल प्रबंधन से भी बातचीत शुरू कर दी गई.

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बच्चों के फेल होने के इस मामले में आयोग ने भी चिंता जताई और इससे छात्रों की मानसिक स्थिति पर असर पड़ने की भी संभावना जताई गई. इस मामले में कुछ अभिभावकों ने ही आयोग के सामने शिकायत दर्ज करवाई है. इसमें यह बात भी सामने आई की निजी स्कूलों में शैक्षणिक स्तर गिरने के कारण इतनी बड़ी संख्या में छात्र फेल हुए.

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प्रकरण पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना ने फौरन शिक्षा विभाग से इस संदर्भ में बातचीत की. साथ ही स्कूल प्रबंधन को भी इस स्थिति में चिंतन करते हुए फेल होने वाले छात्रों को 12वीं कक्षा में प्रोन्नत करने की सलाह दी गई है. हालांकि गीता खन्ना ने ऐसे अनुत्तीर्ण छात्रों की आयोग की मौजूदगी में दोबारा परीक्षा लिए जाने के लिए भी कहा है.

अध्यक्ष गीता खन्ना ने बताया कि निजी विद्यालय में इस तरह बड़ी संख्या में बच्चों के फेल होने से उनके मानसिक स्तर पर इसका असर पड़ सकता है. ऐसे में सभी बातों को ध्यान में रखते हुए जरूरी दिशा निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा मुख्य शिक्षा अधिकारी को भी संबंधित विद्यालय में शिकायत को लेकर रिकॉर्ड जुटाने के लिए कहा गया है. ताकि यह स्पष्ट हो सके कि जो शिकायत आयोग तक पहुंची है वह कितनी सही है?

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माना जा रहा है कि जल्द ही मुख्य शिक्षा अधिकारी संबंधित निजी विद्यालय के रिकॉर्ड के आधार पर अपनी रिपोर्ट आयोग को भेजेंगे जिसके बाद आयोग जरूरी दिशा निर्देश जारी करेगा.