खबर शेयर करें -

Vikram Lander और Pragyan Rover को ISRO ने 14-15 दिनों के लिए सुला दिया है. ये खुलासा इसरो ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में किया है. इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जैसे ही सूरज की किरणें चांद पर दोबारा पहुंचेंगी प्रज्ञान रोवर फिर से एक्टिव हो जाएगा.

Chandrayaan-3 को लेकर एक बड़ा अपडेट आया है. ISRO ने विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को 14-15 दिनों के लिए सुला दिया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर कर ISRO ने बताया है कि रोवर ने अपना काम पूरा कर लिया है. उब उसे सुरक्षित जगह पर पार्क कर स्लीप मोड में सेट कर दिया गया है. APXS और LIBS पेलोड फिलहाल बंद हैं. इन पेलोड की मदद से ही डेटा लैंडर के जरिए पृथ्वी पर भेजा जाता है. अपनी पोस्ट में ISRO ने आगे कहा,’ फिलहाल, बैटरी पूरी तरह चार्ज है. रिसीवर को चालू रखा गया है. उम्मीद है कि रोवर अपने असाइनमेंट के दूसरे सेट को पूरा करने के लिए एक बार फिर नींद से जागेगा. अगर ऐसा नहीं होता है तो वह चांद पर भारत के चंद्र राजदूत (lunar ambassador) के तौर पर मौजूद रहेगा.

बता दें कि चंद्रमा पर 5-6 तारीख तक अंधेरा छाने लगेगा. सूरज ढल जाएगा. फिर लैंडर और रोवर अगले 14-15 दिन तक रात में रहेंगे. यानी चांद की रात शुरू होने वाली है. चंद्रयान-3 23 अगस्त 2023 की शाम छह बजकर चार मिनट पर चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतारा गया. उस समय वहां पर सूरज उग रहा था.

इसरो की प्लानिंग थी कि चांद के जिस हिस्से पर लैंडर-रोवर उतरें, वहां अगले 14-15 दिनों तक सूरज की रोशनी पड़ती रहे. यानी अभी वहां पर दिन है. जो अगले चार-पांच दिन ही और रहेगा. उसके बाद अंधेरा होने लगेगा. सूरज की रोशनी लैंडर-रोवर पर नहीं पड़ेगी. इसलिए बैटरी को पूरी तरह से चार्ज करने के बाद ही सिस्टम बंद किया गया है. ताकि बाद में जरुरत पड़ने पर उन्हें फिर से ऑन किया जा सके.

अंधेरा हुआ तो फिर क्या होगा? 

लैंडर और रोवर मे सोलर पैनल लगे हैं. वो सूरज से ऊर्जा लेकर चार्ज होते हैं. जब तक सूरज की रोशनी मिलेगी, उनकी बैटरी चार्ज होती रहेगी. वो काम करते रहेंगे. अंधेरा होने के बाद भी कुछ दिन या घंटे तक रोवर और लैंडर काम कर सकते हैं. ये उनके बैटरी की चार्जिंग पर निर्भर करता है. लेकिन इसके बाद वो अगले 14-15 दिनों के बाद सूरज उगने का इंतजार करेंगे. हो सकता है सूरज उगने के बाद वो फिर से एक्टिव हो जाएं. अगले 14-15 दिन काम करने के लिए.

चंद्रमा पर हर 14-15 दिन में सूरज उगता है. फिर इतने ही दिन अस्त रहता है. यानी वहां इतने दिनों तक रोशनी रहती है. चंद्रमा अपनी धुरी पर घूमते हुए धरती का चक्कर लगाता रहता है. इसलिए उसका एक हिस्सा सूरज के सामने आता है, तो दूसरा पीछे चला जाता है. इसलिए हर 14-15 दिन पर सूरज की आकृति भी बदलती रहती है. इसरो इस बात को लेकर भरोसा जता रहा है कि सूरज की रोशनी मिलने पर लैंडर-रोवर फिर से एक्टिव हो जाएंगे.

रोवर पर दो पेलोड्स हैं, वो क्या करेंगे? 

1. लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS). यह एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा. जैसे- मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्सियम, टिन और लोहा. इनकी खोज लैंडिंग साइट के आसपास चांद की सतह पर की जाएगी.

2. अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS). यह चांद की सतह पर मौजूद केमकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा. साथ ही खनिजों की खोज करेगा.

विक्रम लैंडर के पेलोड्स क्या करेंगे?

1. रंभा (RAMBHA)… यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा.
2. चास्टे (ChaSTE)… यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा.
3. इल्सा (ILSA)… यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा.
4. लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA) … यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा.

You missed