केंद्र में एक बार फिर बीजेपी और सहयोगियों ने मिलकर एनडीए की सरकार बना ली है। लेकिन मोदी सरकार 3.0 के गठन के 2 दिन ही एनडीए के घटक दलों में नाराजगी देखने को मिल रही है।
मोदी कैबिनेट 3.0 में कैबिनेट में शामिल नहीं किए जाने पर अब झारखंड और महाराष्ट्र में राजनीति गरमाई हुई है। शिवसेना (शिंदे गुट), एनसीपी (अजित पवार) पहले ही मंत्री पदों के बंटवारे के बाद से नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। अब झारखंड में एनडीए की सहयोगी आजसू ने भी अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर कर दी है।
महाराष्ट्र में कैबिनेट की लड़ाई खुलकर सामने आ रही है। शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित गुट) कैबिनेट मंत्री की डिमांड कर रहे हैं। फिलहाल मोदी कैबिनेट में शिवसेना (शिंदे गुट) को एक राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दिया गया है, जिसके लिए वह राजी नहीं है। शिवसेना के 7 सांसद हैं, जिसके लिए वह कैबिनेट की डिमांड कर रही है। श्रीरंग बारणे ने खुलकर कहा है कि एनडीए में जो पार्टियां 4-5 सीटें ही जीतकर आई हैं।
उनको कैबिनेट में जगह दी गई है। लेकिन हम लोगों को 7 नंबर लाने के बाद भी कैबिनेट में नहीं लिया गया। एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे ने उनको बयान को लेकर टिप्पणी की है। श्रीकांत ने कहा कि मोदी सरकार को उन लोगों ने बिना शर्त समर्थन दिया है। देश को पीएम मोदी के नेतृत्व की जरूरत है। किसी सौदेबाजी या बातचीत को लेकर सवाल ही पैदा नहीं होता। हमारे सारे सांसद और नेता एनडीए के साथ बिना शर्त आगे भी निष्ठा से काम करते रहेंगे।
अजित पवार की नाराजगी के मायने क्या?
अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी भी नाराज बताई जा रही है। चर्चा है कि इस बार प्रफुल्ल पटेल को केंद्र में मंत्री बनाया जाना था। मगर एनसीपी को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार की पोस्ट मिली। जिसको उसने ठुकरा दिया। एनसीपी को कैबिनेट से नीचे कुछ भी मंजूर नहीं है। प्रफुल्ल पहले भी कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। एनसीपी ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा था। लेकिन जीत सिर्फ एक सीट पर मिली है। प्रफुल्ल पटेल पद का ऑफर मिलने के बाद कह चुके हैं कि जब वे पहले कैबिनेट में रह चुके हैं, तो अब डिमोशन पर क्यों जाएं? एनसीपी की नाराजगी की वजह जीतनराम मांझी भी हैं। उनको कैबिनेट में शामिल किया गया है। जबकि वे सिर्फ हम से खुद ही जीतकर आए हैं। इसको लेकर अब अजित पवार खासे नाराज बताए जा रहे हैं।
झारखंड में गिरिडीह लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार जीतकर आए आजसू सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी भी कैबिनेट में शामिल नहीं किए जाने को लेकर नाराज हैं। उन्होंने खुद को मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर दुर्भाग्यपूर्ण कहा है। चौधरी के अनुसार सभी दलों को उचित मान-सम्मान दिए जाने का वायदा किया गया था। आजसू चीफ सुदेश महतो का अभी कोई बयान इसको लेकर नहीं आया है।