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उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने एक बार फिर पार्टी हाईकमान का भरोसा जीता तो राज्य में उनके नाम को लेकर ही राजनीति शुरू हो गई. भाजपा ने महेंद्र भट्ट को राज्यसभा भेजने का फैसला ले लिया है. ऐसे में एक तरफ पार्टी के नेता इस फैसले से उत्साहित दिखाई दे रहे हैं तो कांग्रेस ने महेंद्र भट्ट को ही निशाने पर लेते हुए उन्हें भड़काऊ बयान देने पर इनाम दिए जाने का आरोप लगा दिया है.

राज्यसभा के उम्मीदवारों को लेकर जारी सूची में भाजपा हाईकमान ने उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट पर भरोसा जताया है. पार्टी हाईकमान ने उन्हें राज्यसभा सीट के लिए चुन लिया है. महेंद्र भट्ट का नाम आते ही जहां एक तरफ भाजपा इसे पार्टी हाई कमान का शानदार निर्णय बता रही है तो कांग्रेस ने महेंद्र भट्ट पर अपने तीखे वार करना शुरू कर दिया है.

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महेंद्र भट्ट का राजनीतिक करियर: 

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी पार्टी हाई कमान ने बदरीनाथ से चुनाव लड़ने वाले महेंद्र भट्ट पर भरोसा जताया और उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया. साल 1991 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सहसचिव रहने वाले महेंद्र भट्ट ने विद्यार्थी परिषद से होते हुए युवा मोर्चा और फिर भाजपा की राजनीति में प्रवेश किया. उन साल 1991 से 1993 तक वह सहसचिव रहे. इसके बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में टिहरी विभाग के संगठन मंत्री की जिम्मेदारी संभाली.

महेंद्र भट्ट ने भारतीय जनता युवा मोर्चा में साल 2000 से 2002 तक प्रदेश अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी संभाली. जबकि भाजपा युवा मोर्चा में रहते हुए महाराष्ट्र और हिमाचल के प्रभारी भी रहे. इसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की राजनीति शुरू की और साल 2005 से 2007 तक प्रदेश सचिव की जिम्मेदारी संभाली. महेंद्र भट्ट 2002 से 2007 तक पहली निर्वाचित विधानसभा में नंदप्रयाग विधानसभा से विधायक बने. इसके बाद 2010 से 2012 तक वह सरकार में राज्य मंत्री के तौर पर रहे. जबकि 2017 से 2022 तक वह बदरीनाथ विधानसभा से विधायक चुने गए. इसके बाद 2022 के चुनाव में वह बदरीनाथ से जीत हासिल करने में कामयाब नहीं हुई. लेकिन इसके बावजूद पार्टी हाई कमान ने उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया. जबकि अब पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजने के लिए उनका नाम तय कर दिया है.

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जमीन से जुड़े होने का फल:

पार्टी में लंबे समय से काम कर रहे महेंद्र भट्ट का नाम राज्यसभा के लिए आने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है. पार्टी के नेता, महेंद्र भट्ट के जमीन से जुड़े होने और कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर चलने के कारण ही उन्हें हाई कमान द्वारा चुने जाने की बात कह रहे हैं. एक तरफ महेंद्र भट्ट का नाम सामने आने के बाद पार्टी के नेता खुशी जता रहे हैं और इसे पार्टी हाई कमान का बेहतर निर्णय भी कह रहे हैं. लेकिन कांग्रेस इस बात से इत्तेफाक नहीं रख रही है. कांग्रेस नेता का कहना है कि विधायक रहते महेंद्र भट्ट ने अपनी विधानसभा के लिए कोई काम नहीं किया और अब वह राज्यसभा में रहते हुए राज्य के लिए क्या काम करेंगे? यह भविष्य बताएगा.

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भड़काऊ भाषण के लिए इनाम: 

कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि महेंद्र भट्ट भड़काऊ भाषण हमेशा से देते रहे हैं. वह विधायक के रूप में भी सफल नहीं रहे हैं. ऐसे में लगता है कि हाई कमान ने उनके भड़काऊ भाषण के कारण ही उन्हें राज्यसभा जाने का इनाम दिया है.