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देहरादून: प्रदेश के सरकारी स्कूलों में धामी सरकार ने बच्चों को भगवद् गीता का ज्ञान देने का निर्णय लिया है. जिसके बाद कांग्रेस धामी सरकार को घेरने में लग गई है. सरकार के इस फैसले पर पूर्व सीएम हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि सरकार का यह निर्णय भारत की संस्कृति और स्वरूप से मेल नहीं खाता है. उन्होंने इसे वोटों की राजनीति बताया है.

हरीश रावत ने क्या कहा: रामनगर पहुंचे उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने प्रदेश सरकार पर शिक्षा के भगवाकरण का आरोप लगाया है. उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा स्कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक पढ़ाए जाने को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गीता तो कर्म और ज्ञान देती है और ऐसा ज्ञान सभी के लिए आवश्यक है. लेकिन सवाल यह है कि केवल एक ही धर्म के श्लोक क्यों पढ़ाए जा रहे हैं? उन्होंने कहा कि हर धर्म में अच्छी बातें होती हैं और बच्चों को सभी धर्मों की अच्छी शिक्षाएं दी जानी चाहिए. हरीश रावत ने कहा कि शिक्षा का लक्ष्य आधुनिक दृष्टिकोण होना चाहिए, जिससे हमारे बच्चे आगे बढ़ सकें. उन्होंने केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति को लेकर भी सवाल उठाए और कहा कि यह नीति केवल भगवाकरण कर सकती है, राष्ट्र निर्माण की उम्मीद इससे नहीं की जा सकती. क्योंकि यह किसी एक संस्था विशेष का प्रभाव पूरे शिक्षा जगत पर थोपती है.

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करना माहरा ने सरकार को घेरा: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि सरकार का यह निर्णय भारत की संस्कृति और स्वरूप से मेल नहीं खाता है. उन्होंने इसे वोटो की राजनीति बताया है. वहीं दूसरी ओर बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने कहा कि गीता के श्लोक मात्र धार्मिक वाचन नहीं है बल्कि जीवन दर्शन है. यह जीवन कौशल सीखाने का प्रभावशाली माध्यम है. जो बच्चों में आत्म विवेक,आत्म नियंत्रण और नैतिक मूल्यों का विकास कराता है. इसे किसी धर्म से जोड़ना या इसका विरोध करना ठीक नहीं है.

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