खबर शेयर करें -

विधानसभा सत्र में इस बार कांग्रेस ने बदली रणनीति को आजमाया। बजट सत्र में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का लंबा दौर चला।

सरकार के जवाब हो या वक्तव्य, कांग्रेस ने इस बार उत्तेजित होकर सदन से बार-बार बहिर्गमन करने के बजाय भाजपा सरकार के धैर्य की परीक्षा लेने में अधिक रुचि दिखाई।

कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर सीधे आक्रामक होने की रणनीति को बदला भी और साथ में सत्ताधारी दल के दांव-पेच को खूब जांच-परख कर संयत रुख भी अपनाया। यही कारण रहा कि बजट सत्र के दौरान प्रमुख प्रतिपक्षी दल के इस रवैये ने सत्तापक्ष को भी चौंकाया।

यह भी पढ़ें -  हरिद्वार में गंगा घाट के पास नॉनवेज खाने पर हंगामा, खोखा स्वामी की पिटाई

पुरानी राजनीतिक शैली से पीछे हटती दिखी

सदन में बार-बार हंगामा करने और बहिर्गमन कर सुर्खियां बटोरने में कांग्रेस की महारत मानी जाती है, लेकिन पार्टी ने मुद्दों को धार देकर धामी सरकार और उनके मंत्रियों को निशाने पर जोर लगाया। चार दिवसीय सत्र के दौरान प्रश्नकाल रहा हो या शून्यकाल, कांग्रेस अधिकतर समय सदन से बहिर्गमन करने की अपनी पुरानी राजनीतिक शैली से पीछे हटती दिखाई दी।

यह भी पढ़ें -  इन राशियों के लिए बड़ी खुशखबरी, आर्थिक तंगी से मिलेगी राहत, भाग्य देगा साथ और सूर्य की होगी कृपा

सदन के भीतर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच बहस के दौरान कई बार ऐसे अवसर भी आए कि मंत्रियों ने प्रश्नों के उत्तर देते हुए सीधे तौर पर कांग्रेस की केंद्र और प्रदेश की पिछली सरकारों पर हमला बोला। इसे लेकर कई बार दोनों पक्ष आरोप-प्रत्यारोप में उलझे। तीखी बहस से सदन का वातावरण गरमाता रहा।

यह भी पढ़ें -  आईआईटी रुड़की की मेस के खाने में मिले चूहे, छात्रों ने जमकर किया हंगामा, वायरल हुआ वीडियो

सत्र के अंतिम दिन लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने तय रणनीति के अनुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर सरकार को घेरने में पूरी ताकत झोंकी।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि कांग्रेस ने सदन को चलाने और स्वस्थ बहस के लिए अपने स्तर से पूरा प्रयास किया। सदन नहीं चलाने के लिए विपक्ष को दोष नहीं दिया जा सकता।

You missed