समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पर चर्चा के दौरान संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री की ओर से की गई घोषणा के क्रम में सभी पक्षों के सुझाव लेकर विधेयक प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है कि जब सभी वर्गों के लिए समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार किया गया है।
महिला सशक्तिकरण और बराबरी के लिहाज से भी विधेयक महत्वपूर्ण है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि समिति की ओर से जब सुझाव मांगे जा रहे थे तो कांग्रेस शामिल नहीं थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को न तो आमंत्रित किया गया और न ही सुझाव मांगे गए। मांगे जाते तो दिये जाते।
उन्होंने कहा कि दावा यह किया जा रहा है कि यूसीसी के माध्यम से महिलाओं को व्यापक अधिकार दिये जा रहे हैं। यदि ऐसा है तो अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को इससे वंचित क्यों कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूसीसी राज्य बना सकते हैं, लेकिन समवर्ती सूची के कानूनों पर कई बार केन्द्र और राज्य के कानून पर टकराव हो जाता है। ऐसी स्थिति में केन्द्र का कानून ही मान्य होता है।इस स्थिति में सवाल उठता है कि यूसीसी विधेयक क्या आगामी चुनाव के मद्देनजर लाया गया।
यशपाल आर्य ने कहा कि भ्रष्टाचार, आपदा, बेरोजगारी, पलायन, कानून व्यवस्था, माफियाराज और भू कानून जैसे मुद्दे क्या महत्वपूर्ण नहीं रह गए हैं? उन पर चर्चा से सरकार क्यों बचना चाहती है! जनता के मूल अधिकारों व सवाल पर क्यों बात नहीं होती? सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई विधायकों ने यूसीसी विधेयक पर चर्चा में भाग लिया।