ओक्लाहोमा में एक मामला सामने आया. ओक्लाहोमा में गुरुवार को एक 66 साल के शख्स को सजा-ए-मौत दे दी गई. शख्स का गुनाह सुन कर आप हैरान हो जाएंगे. शख्स को संगीन गुनाह को अंजाम देने के 40 साल बाद सजा-ए-मौत दी गई.
अमेरिका के रिचर्ड रोजेम ने साल 1984 में 7 साल की बच्ची का पहले अपहरण किया, जिसके बाद बच्ची के साथ बलात्कार किया और फिर बच्ची को मौत के घाट उतार दिया. जिसके बाद गुरुवार को दोषी को 10 बज कर 16 मिनट पर मृत घोषित कर दिया गया. जेल अधिकारियों ने बताया कि रिचर्ड रोजेम को मैकएलेस्टर में ओक्लाहोमा स्टेट पेनिटेंटरी में तीन दवाओं का इंजेक्शन दिया गया जिसके बाद उसे सुबह 10:16 बजे मृत घोषित कर दिया गया.
क्या था गुनाह
रिचर्ड रोजेम ने जिस 7 साल की बच्ची के साथ यह संगीन अपराध अंजाम दिया वो कोई और नहीं उसकी अपनी सौतेली बेटी थी. जिसका नाम लैला कमिंग्स था. बच्ची का शव 7 जुलाई, 1984 को बर्न्स फ़्लैट शहर के पास ग्रामीण वाशिता काउंटी के एक खेत में पाया गया था, उसकी चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी. यह पहली बार नहीं था कि रोजेम ने किसी अपराध को अंजाम दिया हो, इससे पहले भी रोजेम को मिशिगन में दो नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार करने का दोषी ठहराया गया था.
क्यों की 7 साल की बच्ची की हत्या
जानकारी के मुताबिक अपराधी रोजेम सौतेली बेटी लैला कमिंग्स पर बौखला गया था. क्योंकि, लैला ने रोजेम के अपराध के मुंह बंध नहीं रखा और वो खामोश नहीं रही. जब रोजेम ने लैला का यौन शोषण किया तो लैला ने अपनी मां को रोजेम के इस अपराध के बारे में बता दिया था. जिसके बाद लैला की मां ने रोजेम से तलाक ले लिया. जिसके चलते ही रोजेम में था.
रोजेम ने हत्या करने से किया इंकार
रोजेम ने पहले बच्ची की हत्या करने से इंकार कर दिया था और पुलिस से कहा था कि उस ने बच्ची की हत्या नहीं की. साथ ही रोजेम के वकीलों ने भी तर्क दिया था कि बच्ची के नाखूनों से लिए गए डीएनए टेस्ट रोजेम को दोषी साबित नहीं करते. वकील जैक फिशर ने कहा, “अगर रोजेम का डीएनए मौजूद नहीं है, तो उसे दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए.”
रोजेम ने जेल से एक वीडियो बयान के जरिए सुनवाई में गवाही देते हुए कहा कि, वह बच्ची की मौत के लिए जिम्मेदार नहीं है. रोजेम ने कहा, “मैं अपनी जिंदगी में एक लंबे समय तक अच्छा इंसान नहीं था और मैं इस बात से इनकार नहीं करता” लेकिन मैं जेल गया, मैंने अपना सबक सीख लिया और मैंने वह सब पीछे छोड़ दिया.
कैसे सामने आया अपराध
हालांकि रोजेम ने लगातार बच्ची की हत्या करने से इंकार किया. इस के बावजूद भी पुलिस ने वो सारे सबूत सामने रख दिए जिनसे यह साफ साबित हो गया कि अपराधी रोजेम ही है. रोजेम को दोषी ठहराने के लिए बहुत सारे सबूत सामने आए. जिसमें सबसे पहले बच्ची के घर में से रोजेम के फिंगरप्रिंट मिले. दरअसल बच्ची के किडनेप होने के बाद घर के बार के कप में रोजेम के फिंगरप्रिंट मिले. साथ ही बच्ची के शरीर के पास कंडोम का रैपर भी पाया गया.
कब हुई थी जेल
वाशिता काउंटी की जूरी ने 1985 में केवल 45 मिनट के विचार-विमर्श के बाद रोजेम को दोषी ठहराया था. जिसके बाद अदालतों ने उनकी पिछली मौत की सजा को दो बार पलट दिया था. जिसके बाद कस्टर काउंटी जूरी ने साल 2007 में रोजेम को तीसरी बार मौत की सजा सुनाई. 1976 में सजा-ए-मौत बहाल होने के बाद अमेरिका में ओक्लाहोमा एक ऐसा शहर बन कर सामने आया है जहां सबसे ज्यादा सजा-ए-मौत की सजा दी गई है. अब तक ओक्लाहोमा में 13 लोगों को सजा-ए-मौत दी गई है.