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पिथौरागढ़ से 136 किलोमीटर दूर धारचूला क्षेत्र के गांग गांव में पहुंचते ही नारायण स्वामी ने जब आश्रम बनाने की बात कही तो स्थानीय लोग भी सहयोग को तैयार हो गए थे। एक बार फिर यह आश्रम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रस्तावित दौरे की सूचना से सुर्खियों में आ चुका है। ऐसे में क्षेत्र में पर्यटन को पंख लगने की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

कर्नाटक मूल के संत नारायण स्वामी, गुजरात के ट्रस्टी और देवभूमि उत्तराखंड में नारायण। कुछ ऐसा ही अनूठा मिलन है उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्र धारचूला स्थित नारायण आश्रम का। वैसे भी राज्य की सीमाएं, बोली-भाषा, पहनावा, रहन-सहन की बेड़ियां सब टूट जाती है, जब किसी क्षेत्र में महान संत का प्रताप आलोकित हो उठता है। पिथौरागढ़ से 136 किलोमीटर दूर धारचूला क्षेत्र के गांग गांव में पहुंचते ही नारायण स्वामी ने जब आश्रम बनाने की बात कही तो स्थानीय लोग भी सहयोग को तैयार हो गए थे। एक बार फिर यह आश्रम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रस्तावित दौरे की सूचना से सुर्खियों में आ चुका है। ऐसे में क्षेत्र में पर्यटन को पंख लगने की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

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ब्रिटिश शासनकाल में तब यह क्षेत्र उपेक्षित था। वर्ष 1936 में 2736 मीटर ऊंचाई पर बने इस आश्रम के जरिये स्वामी जी ने न केवल आध्यात्मिक अलख जगाई बल्कि शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक उत्थान को लेकर भी कई कार्य किए। नारायण नगर भी स्वामी जी ने ही बसाया था। दरअसल, उनके अधिकांश भक्त गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र के थे। भक्तों ने स्वामी जी के सर्वांगीण उत्थान के कार्यों में बढ़-चढ़कर कर हिस्सा लिया था।

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यही कारण है कि आज भी उत्तराखंड में स्थिति इस आश्रम में गुजरात, महाराष्ट्र व कर्नाटक का अनूठा संगम देखने को मिलता है। यहां तक कि आश्रम में गुजराती व्यंजन आम है। आश्रम के ट्रस्टी भी गुजरात के ही हैं। कुछ सदस्य स्थानीय भी हैं। केदारनाथ में ध्यान लगाने समेत आध्यात्मिक केंद्रों के जरिये भारतीय सनातन व धर्म-दर्शन की परंपरा को ऊंचाइयों तक पहुंचाने में जुटे पीएम नरेन्द्र मोदी का 11 व 12 अक्टूबर को नारायण आश्रम के दौरे की सूचना से क्षेत्रवासियों में उत्साह है। तैयारियां चरम पर हैं।

देश-दुनिया के लोग अब इस आश्रम में नारायण की एक झलक पाने को बेताब दिख रहे हैं। इसके लिए इंटरनेट मीडिया से लेकर अन्य स्रोतों जानकारियों जुटाई जा रही हैं। तीन राज्यों के इस अद्भुत संगम वाले आश्रम में पीएम के दौरे के बाद जबरदस्त तरीके से भीड़ उमड़ने की उम्मीद भी है। देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर के प्रकृति प्रेमियों, ध्यान व दर्शन की ओर आकर्षित होने वालों के लिए यह एक नया डेस्टिनेशन के रूप में उभर जाएगा।

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स्थानीय लोग हैं बेहद उत्साहित

स्थानीय व पूर्व बीडी सदस्य खुशाल सिंह गर्खाल का कहना है कि पीएम का दौरा हम सभी के लिए बड़ी उपलब्धि है। इस आध्यात्मिक केंद्र के जरिये धारचूला का विकास होगा। पर्यटन बढ़ेगा। आर्थिक रूप से भी मजबूती आएगी। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में भ्रमण को लेकर अब अधिक लोगों के फोन आने लगे हैं।