इन दिनों मौसम का मिजाज कुछ ऐसा है कि एक तरफ जहां लोग गर्मी से परेशान थे, वहीं बारिश ने राहत की सांस दी। लेकिन यह खुशी ज्यादा देर नहीं टिकी, क्योंकि कहीं-कहीं यह बारिश आसमानी आफत बनकर बरसी।
भारी बारिश के चलते मलबा सड़कों पर आ गया और कई वाहन इसके नीचे दब गए। यह दोहरा चेहरा लोगों के लिए उम्मीद और चुनौती दोनों लेकर आया है। आइए, इस मौसम की कहानी को करीब से समझते हैं और जानते हैं कि यह क्या संदेश दे रहा है।
गर्मी से राहत की उम्मीद
अप्रैल का महीना शुरू होते ही उत्तराखंड में गर्मी ने लोगों का हाल बेहाल कर दिया था। पहाड़ों पर भी सूरज की तपिश बढ़ने लगी थी, जिससे हर कोई बारिश की राह देख रहा था। और फिर अचानक बादल बरसे। देहरादून और आसपास के इलाकों में हल्की बारिश ने मौसम को सुहाना कर दिया। लोगों ने गर्मी से निजात पाई और चेहरों पर मुस्कान लौट आई। लेकिन यह सुकून ज्यादा देर तक नहीं रहा, क्योंकि पहाड़ी इलाकों में बारिश ने दूसरा रूप दिखाया।
आसमानी आफत का कहर
चमोली जिले के थराली इलाके में बारिश ने राहत कम, मुसीबत ज्यादा दी। बुधवार शाम को मूसलाधार बारिश हुई, जिससे नाले उफान पर आ गए। सिपाही गदेरा नाम का नाला तो ऐसा बहा कि थराली रामलीला मैदान के पास सड़क पर मलबा आ गया। इस मलबे की चपेट में एक कार और एक स्कॉर्पियो समेत कई वाहन दब गए। थराली-ग्वालदम मार्ग सहित कई सड़कें बंद हो गईं, जिससे यातायात ठप हो गया। गनीमत रही कि इस हादसे में कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन लोगों में डर का माहौल जरूर बन गया।
मौसम का बदलता मिजाज
मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अप्रैल में मौसम में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की वजह से पहाड़ों में ऐसी अनियमित बारिश बढ़ रही है। जहां एक ओर यह गर्मी से राहत देती है, वहीं भूस्खलन और मलबे की घटनाएं भी साथ लाती है। चमोली के जिला मजिस्ट्रेट संदीप तिवारी ने बताया कि राहत टीमें मौके पर पहुंच गई हैं और हालात को काबू में करने की कोशिश जारी है। लेकिन सवाल यह है कि क्या हम इस दोहरे मौसम के लिए तैयार हैं?


