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नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार अंतर्राष्ट्रीय ड्रग तस्कर रविंद्र के बारे में चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं हैं। शातिर रविंद्र ने नैनीताल से फरार होने के बाद 11 साल में दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में नशे का साम्राज्य फैला लिया था।

उसने नेपाल में कोठी बना ली थी और दिल्ली एनसीआर, कानपुर, आगरा समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों और उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर समेत अन्य जिलों में नशे की खेप भेजता आ रहा था।  थाना काठगोदाम, नैनीताल के एक मुकदमे में जमानत मिलने के बाद से फरार चल रहा रविंद्र 50 हजार का इनाम होने के बाद एसटीएफ उत्तराखंड के रडार पर आ गया था। एसटीएफ के निरीक्षक अबुल कलाम के नेतृत्व में गठित टीम ने रविंद्र की कुंडली खंगालनी शुरू की तो पता चला कि रविंद्र ने कस्बा परवाणीपुर जिला बीरगंज नेपाल में आलीशान मकान बना लिया है और वहीं से ही दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चरस की सप्लाई कर रहा है।

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बिहार में कई हफ्ते तक पहचान छिपा कर रही एसटीएफ

एसटीएफ ने जब शातिर रविंद्र के परिवार के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि उसने नेपाल के अलावा एक और मकान जिला मोतीहारी, बिहार में बना रखा है। एसटीएफ की टीम ने कई हफ्तों तक कस्बा मोतीहारी में अपनी पहचान छिपाकर डेरा डाले रखा और रविंद्र के परिवार से मिलने जुलने वालों की रैकी की गयी, जिसके बाद रविंद्र पर शिकंजा कसता गया और रविंद्र की गिरफ्तारी में सफलता प्राप्त हुई।

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नकली सिक्के, जाली स्टाम्प भी बनाए

एसएसपी एसटीएफ नवनीत भुल्लर के अनुसार, आरोपी रविंद्र वर्ष 2010 में थाना नबी करीम, दिल्ली में नकली सिक्के व नोट तथा जाली सरकारी स्टाम्प बनाने के अपराध में दिल्ली पुलिस द्वारा पहाड़गंज दिल्ली से रेड के दौरान गिरफ्तार किया था। इसके बाद

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रविंद्र ने अपना एक काफी बडा ड्रग नेटवर्क तैयार कर लिया था। रविंद्र को गिरफ्तार करने वाली टीम में एसटीएफ के निरीक्षक अबुल कलाम, एसआई यादविंदर सिंह बाजवा, विध्या दत्त जोशी, कृपाल सिंह (थाना काठगोदम), संजय मेहरोत्रा, संजय कुमार, महेन्द्र नेगी, मोहन असवाल और गोविन्द बल्लभ रहे।