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बीते दिनों हुई बारिश का असर रहा कि प्रदेश में इक्का-दुक्का स्थानों को छोड़कर कहीं भी जंगल में आग नहीं लगी, लेकिन जैसे ही मौसम ने शुष्क रूप लिया, आग की घटनाएं भी बढ़ने लगी हैं।

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उत्तराखंड में मौसम का रुख बदलते ही एक बाद फिर जंगल धधकने लगे हैं। मौसम में आए बदलाव के कारण तेजी से तापमान बढ़ रहा है। इसका असर वनाग्नि पर भी दिखने लगा है। शुक्रवार को प्रदेशभर में सात स्थानों पर जंगल में आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं। इसके साथ ही 10 अप्रैल को पौड़ी के चौबट्टाखाल क्षेत्र में जंगल की आग में जलकर मरे दो युवकों को भी वन विभाग ने अपनी रिपोर्ट में दर्ज कर लिया है।

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बीते दिनों हुई बारिश का असर रहा कि प्रदेश में इक्का-दुक्का स्थानों को छोड़कर कहीं भी जंगल में आग नहीं लगी, लेकिन जैसे ही मौसम ने शुष्क रूप लिया, आग की घटनाएं भी बढ़ने लगी हैं। मुख्य वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को गढ़वाल में एक और कुमाऊं क्षेत्र में छह स्थानों पर वनाग्नि की घटनाएं दर्ज की गईं।

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दो लोगों की हो चुकी मौत

इनमें करीब 7.3 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है, जबकि 17 हजार 300 रुपये की आर्थिक क्षति का आकलन किया गया है। प्रदेश में जंगल की आग में अब तक दो लोगों के मारे जाने और एक व्यक्ति के झुलस कर घायल होने की घटना दर्ज की गई है।

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इस वनाग्निकाल में अब तक कुल 147 घटनाओं में 188 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल चुका है, जबकि छह लाख 98 हजार 471 रुपये की क्षति का आकलन किया गया है। मुख्य वन संरक्षक वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन निशांत वर्मा ने बताया कि मौसम में आए बदलाव के बाद वनाग्नि की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है। सभी प्रभागों को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए हैं।