खबर शेयर करें -

रात 11.33 मिनट में लालकुआं समेत समस्त उत्तराखंड में भूकंप के झटके महसूस किए गए। पिछले कई महीनों से उत्तराखंड में भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। 

अधिकतर मौकों पर भूकंप का केंद्र सीमांत इलाकों में रहता है। उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली एनसीआर समेत कई शहरों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। रात को भूकंप के झटकों ने लोगों को डरा दिया। बड़ी सोसाइटी में रहने वाले लोग अपने घरों से बाहर निकल गए। 3 नवंबर रात को आए भूकंप का केंद्र नेपाल रहा। रिएक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.9 मापी गई।

यह भी पढ़ें -  उत्तराखंड: 1371 सहायक अध्यापकों को नहीं मिल रही नियुक्ति, 9 दिन से धरने पर.. अनशन की चेतावनी

हिमालयी सहित मैदानी राज्यों में बार-बार भूकंप ने भू-वैज्ञानिकों के माथे पर भी चिंता की लकीरें डाल दी हैं। भूकंप कब, कहां और कितनी तीव्रता का आएगा, इसके पूर्वानुमान की तकनीक अभी तक उपलब्ध नहीं है। भू-वैज्ञानिकों ने भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों की शिनाख्त अवश्य की है। भूकंप के लिहाज से देश को चार जोन में बांटा गया है। सबसे कम खतरे वाला इलाका जोन- दो कहलाता है। इसमें दक्षिण भारत आता है।

यह भी पढ़ें -  ब्लॉगर कल्पना रावत और यूके बादशाह विवाद ने पकड़ा तूल, पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा

जोन- तीन में मध्य भारत को रखा गया है। जोन- चार तुलनात्मक रूप से ज्यादा खतरनाक है, जिसमें उत्तर प्रदेश का ज्यादातर क्षेत्र, उत्तराखंड का निचला हिस्सा और दिल्ली शामिल हैं। सबसे खतरनाक जोन- पांच में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड आते हैं। बीते सवा सौ साल के इतिहास पर नजर डालने से पता चलता है कि भारत में सबसे शक्तिशाली पांच में से चार भूकंप हिमालय या उसकी तलहटी से सटे राज्यों में आए।

यह भी पढ़ें -  हल्द्वानी में तीन अलग-अलग गुमशुदगी के मामले, किशोरी अपहरण, पूर्व वायुसेना कर्मी और महिला लापता