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शिक्षा का अधिकार कानून के तहत गरीब बच्चों के एडमिशन से बचने के लिए शिक्षा विभाग के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन न कराने वाले 1955 प्राइवेट स्कूलों का जवाब तलब किया जा रहा है। डीजी-शिक्षा बंशीधर तिवारी ने मंगलवार को बताया कि सभी सीईओ को रजिस्ट्रेशन न कराने वाले स्कूलों को नोटिस देने और कार्रवाई करने के निर्देश दे दिए गए हैं।

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दून समेत कुछ सीईओ ने नोटिस जारी कर भी दिए हैं। इन 1955 स्कूलों के शिक्षा विभाग के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन न करने की वजह से इस साल आरटीई कोटे में काफी कम सीटें दर्ज हुई है। नतीजतन बड़ी संख्या में बच्चे एडमिशन नहीं ले पाए। राज्य में मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों की संख्या चार हजार 433 है। आरटीई कोटे के तहत नियमानुसार हर साल को शिक्षा विभाग के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाते हुए अपने स्कूल की आरटीई कोटे के लिए तय 25 प्रतिशत सीटों का ब्योरा देना होता है।

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पर, इस साल दो हजार 478 स्कूलों ने ही पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया। बाकी 1955 स्कूलों ने आरटीई एडमिशन से दूरी बना ली। इसका सीधा असर राज्य में आरटीई कोटे की सीटों पर पड़ा। तीस हजार से अधिक रहने वाले सीटें घटकर 22 हजार 883 पर सिमट गई।

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डीजी ने बताया कि स्कूलों की लापरवाही को गंभीरता से लिया गया है। उनका जवाब तलब कर पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की वजह पूछी जा रही है। संतोषजनक जवाब न देने वाले स्कूलों की मान्यता भी सस्पेंड की जा सकती है।

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