खाद्य संरक्षण व औषधि प्रशाधन के कार्यालय में औषधि नियमन प्रणाली को मजबूत बनाने और अधिकारियों के क्षमता निर्माण को लेकर एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में औषधि नियमन से जुड़े अधिकारियों, विशेषज्ञों और औद्योगिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
इस मौके पर स्वास्थ्य सचिव और आयुक्त एफडीए डॉ. आर राजेश कुमार ने कहा कि आज के समय में दवाओं की क्वालिटी केवल हेल्थ ही नहीं बल्कि सामाजिक विश्वास से भी जुड़ी है. उन्होंने कहा कि यह हम सब की जिम्मेदारी बनती है कि बाजार में उपलब्ध हर दवा सुरक्षित प्रभावी और वैज्ञानिक मानकों पर खरी हो. नियामक अधिकारियों को इसके लिए निरंतर प्रशिक्षित करना और तकनीकी दृष्टि से सशक्त करना एक आवश्यक कदम है.
इस दौरान मौजूद वक्ता कोठेवर राव ने औषधि नियमन की मौजूदा चुनौतियों और डीसीजीआई की भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि दवा नियंत्रण अधिकारियों को लीगल प्रावधानों के अलावा तकनीकी नवाचारों से भी अपडेट होना चाहिए. ताकि वह प्रभावी नियमन सुनिश्चित कर सकें. इसके अलावा सेमिनार में मौजूद पूर्व एफडीए नियंत्रक एन के आहूजा ने दवाओं के नमूना विश्लेषण, गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस किस अलावा लेबलिंग मानकों पर विस्तृत व्याख्यान दिया. उन्होंने अधिकारियों को लेबलिंग से जुड़े व्यावहारिक पहलुओं पर भी प्रकाश डाला.
इस मौके पर खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अपर आयुक्त ताजवर सिंह जग्गी ने बताया कि विभाग का यह प्रयास है कि राज्य में औषधि नियंत्रण व्यवस्था को और अधिक ट्रांसपेरेंट बनाया जाए. इस दिशा में विभाग, उद्योग और विशेषज्ञों के बीच निरंतर संवाद और सहयोग का होना बहुत जरूरी है.


