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रोजाना करीब 60 लाख यूनिट बिजली खरीदना यूपीसीएल के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। महंगी होने के बावजूद बाजार में इस वक्त बिजली की किल्लत है। बुधवार को भी हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर के ग्रामीण इलाकों में यूपीसीएल ने एक से दो घंटे की बिजली कटौती की।

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प्रदेश में गर्मी बढ़ने के साथ ही बिजली की मांग और किल्लत भी बढ़ गई है। बुधवार को बिजली की मांग रिकॉर्ड पांच करोड़ यूनिट (50 एमयू) तक पहुंच गई। इसके सापेक्ष कम बिजली उपलब्ध है। लिहाजा, यूपीसीएल को महंगे दामों पर बाजार से बिजली खरीदनी पड़ रही है। इससे बुधवार से ही हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर सहित कई जिलों के ग्रामीण इलाकों में एक से दो घंटे बिजली कटौती होने लगी है।

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जून की शुरुआत से ही गर्मी भी बढ़ने लगी और बिजली की मांग भी। पिछले साल जून माह में भारी गर्मी के बीच बिजली की अधिकतम मांग 14 जून को 5.5 करोड़ यूनिट (55 एमयू) तक रिकॉर्ड हुई थी। इस साल सात जून को बिजली की मांग पांच करोड़ यूनिट (50 एमयू) तक पहुंच गई है। जिसके सापेक्ष यूपीसीएल के पास केंद्रीय पूल, राज्य पूल व गैर आवंटित कोटे से 4.4 करोड़ यूनिट (44 एमयू) बिजली ही उपलब्ध है।

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एक से दो घंटे की बिजली कटौती

बाजार में बिजली के दाम 10 रुपये यूनिट तक पहुंचने लगे हैं। ऐसे में रोजाना करीब 60 लाख यूनिट बिजली खरीदना यूपीसीएल के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। महंगी होने के बावजूद बाजार में इस वक्त बिजली की किल्लत है। बुधवार को भी हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर के ग्रामीण इलाकों में यूपीसीएल ने एक से दो घंटे की बिजली कटौती की।

यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार का कहना है कि गर्मी बढ़ने की वजह से मांग में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसके सापेक्ष वह कोशिश कर रहे हैं कि रियल टाइम मार्केट से बिजली मिल जाए। इसके बावजूद बिजली किल्लत है और कुछ जगहों पर कटौती करनी पड़ रही है।

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अब मानसून पर ही निगाहें

हर साल 20 जून के बाद मानसून की बारिश होने की वजह से प्रदेश में बिजली उत्पादन बढ़ जाता है। लिहाजा, अब यूपीसीएल की निगाहें मानसून पर हैं। माना जा रहा है कि अगर मानसून में देरी हुई तो बिजली की किल्लत और बढ़ जाएगी।

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