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महिला काम पर जाने के लिए निकली और पीछे से उनकी सात वर्षीय सबसे छोटी बेटी नेहा भी आ गई। इसी दौरान वह बस के पिछले टायर की चपेट में आ गई और सिर कुचल जाने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

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रुद्रपुर के प्रीत विहार में निजी स्कूल की बस से कुचलकर सात साल की बच्ची की मौत हो गई। आक्रोशित परिजनों और मोहल्लेवासियों ने चालक से मारपीट कर बस पर पथराव करते हुए जमकर हंगामा किया। उन्होंने मासूम का शव सड़क पर रखकर जाम लगाया। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कईं बार नोकझोंक भी हुई। करीब चार घंटे तक चले हंगामे के बाद लोग किसी तरह शांत हुए और पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। आक्रोशित भीड़ को काबू करने में पुलिस भी नाकाम साबित हुई और जनप्रतिनिधियों के आश्वासन के बाद भीड़ काबू में आई।

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मूल रूप से गांव बावनपुर बिलासपुर जिला रामपुर निवासी संजीव शर्मा करीब आठ साल से प्रीत विहार फाजिलपुर महरौला में पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहते हैं। संजीव सिडकुल की एक फैक्टरी में नौकरी करते हैं। पत्नी भी नौकरी करतीं हैं। शुक्रवार सुबह करीब सात बजे पत्नी काम पर जाने के लिए निकली और पीछे से उनकी सात वर्षीय सबसे छोटी बेटी नेहा भी आ गई। इसी दौरान नेहा सड़क से निकल रही जीडी गोयनका स्कूल की बस के पिछले टायर की चपेट में आ गई और सिर कुचल जाने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

बच्ची की मौत से परिजन और आसपास के लोग आक्रोशित हो गए। उन्होंने चालक की पिटाई कर बस पर पथराव कर इसके शीशे तोड़ दिए। साथ ही शव को सड़क पर रख दिया। सूचना पर कोतवाली पुलिस ने सभी को समझाने की कोशिश की लेकिन लोग कड़ी कार्रवाई के साथ ही मुआवजे की मांग पर अड़ गए।

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विधायक शिव अरोरा, पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल, पूर्व पालिकाध्यक्ष मीना शर्मा सहित कई जनप्रतिनिधि भी मौके पर पहुंचे। इस दौरान आक्रोशित भीड़ ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी कर शव न उठाने की चेतावनी दी। काफी समझाने पर करीब चार घंटे बाद लोग माने। पुलिस ने बच्ची के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। एसपी सिटी मनोज कत्याल ने बताया कि स्कूल बस को सीज करने के साथ ही चालक को हिरासत में ले लिया गया है। अभी तक मामले में तहरीर नहीं मिली है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

बस का स्टेयरिंग संभाले था 70 साल का चालक, नहीं था परिचालक

जीडी गोयनका स्कूल में बंसल ट्रांसपोर्ट की बस अनुबंधित तौर पर लगी हुई है। बस को किच्छा निवासी 70 वर्षीय चालक राजेंद्र कुमार चला रहा था। उस बस में स्कूल के करीब 30 बच्चे रोजाना आते-जाते हैं। घटना के दौरान भी बस में करीब 15 बच्चे थे। शुक्रवार को बस में परिचालक भी नहीं था। बस में बैठे सभी बच्चों की जिम्मेदारी चालक के सिर पर थी। हालांकि बस में बैठे सभी बच्चे बच गए लेकिन सड़क पर सात वर्षीय बच्ची की जिंदगी चली गई। पूर्व में हुए हादसों के बाद स्कूल बस में परिचालक की तैनाती के निर्देश परिवहन विभाग की ओर से दिए गए थे। इसके साथ ही छात्राओं वाले स्कूल में महिला परिचालक रखना अनिवार्य था लेकिन यहां नियमों को ताक पर रखा गया था।

चार घंटे बाद भी नहीं पहुंचे बस के जिम्मेदार

घटना के बाद आक्रोशित भीड़ ने करीब चार घंटे तक हंगामा किया और भारी पुलिस बल होने के बावजूद भी उनकी एक नहीं सुनी। मुआवजे की मांग पर अड़े लोग लगातार स्कूल और बस प्रबंधन के लोगों को बुलाने की बात करते रहे लेकिन इसके बावजूद वहां पर न तो स्कूल प्रबंधन और ना ही बस मालिक की तरफ से कोई पहुंचा।

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