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न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत, कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट और स्टिंग ऑपरेशन से जुड़े निर्दलीय विधायक उमेश कुमार को वर्ष 2016 में सामने आए चर्चित विधायक हॉर्स ट्रेडिंग मामले में नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं।

हल्द्वानी – गौलापार में हुई दो साल की रजिस्ट्री की होगी जांच, राजस्व में वृद्धि और स्टांप चोरी पर अंकुश लगाने को लेकर डीएम ने अधिकारियों के साथ बैठक की

न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत, कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट और स्टिंग ऑपरेशन से जुड़े निर्दलीय विधायक उमेश कुमार को वर्ष 2016 में सामने आए चर्चित विधायक हॉर्स ट्रेडिंग मामले में नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं। सीबीआई ने इन चारों के वॉयस सैंपल लेने की अनुमति के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था। जिस पर कोर्ट ने नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं।
विशेष न्यायाधीश सीबीआई धर्मेंद्र सिंह अधिकारी की कोर्ट में दून में इसकी सुनवाई 20 जून को हुई थी। सीबीआई की ओर से अभियोजन अधिकारी सियाराम मीना और सीबीआई इंस्पेक्टर सुशील कुमार वर्मा की ओर से कोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश किया गया। जिसमें उन्होंने चारों नेताओं के वॉयस सैंपल लेने की अनुमति देने के निर्देश देने की अपील करते हुए बताया कि आठ जून को इन्हें नोटिस जारी किए गए, लेकिन अभी तक नोटिस तामिल नहीं हुए हैं।

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जिस पर कोर्ट ने इन्हें फिर से नोटिस जारी करने के साथ ही सीबीआई को इसकी पैरवी करने के निर्देश दिए। चार नेताओं में से दो मौजूदा विधायक हैं, जिससे कोर्ट ने दोनों विधायकों को नोटिस तामिल करने के लिए तय प्रक्रिया का पालन करने के निर्देश भी दिए। मामले में अगली सुनवाई चार जुलाई को होगी। सीबीआई ने दून शाखा के बजाए एनसीआर में यह मामला दर्ज किया था। सुनवाई के लिए भी वहां की टीम कोर्ट में उपस्थित हो रही है।

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मामले का संक्षिप्त  परिचय 

वर्ष 2016 में हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए उनका एक स्टिंग करने का दावा उमेश कुमार ने किया था। इसके बाद राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया था। इसी दौरान एक और स्टिंग सामने आया था, इसमें विधायक मदन सिंह बिष्ट के होने का दावा किया गया। इसमें डॉ. हरक सिंह रावत के भी शामिल होने का दावा किया गया था। दोनों ही स्टिंग के बारे में उमेश कुमार ने दावा किया था कि हरीश रावत सरकार को बचाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त की डीलिंग की जा रही थी। इसमें रुपयों के लेन-देन होने की बात का दावा भी स्टिंग प्रसारण के दौरान किया गया था। बाद में इस पूरे मामले की जांच सीबीआई को दे दी गई थी। स्टिंग में जो आवाजें हैं उनके मिलान के लिए इन चारों ही नेताओं के वॉयस सैंपल लेने की अनुमति सीबीआई ने अदालत से मांगी हैं।

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