रुद्रपुर: केनरा बैंक में 75 लाख का ‘पारिवारिक’ घोटाला; फर्जी GST बिलों से लगाया चूना, भाई-बहन और जीजा पर मुकदमा दर्ज
रुद्रपुर (अग्रसर भारत न्यूज ब्यूरो):
उत्तराखंड के रुद्रपुर में बैंकिंग धोखाधड़ी का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। केनरा बैंक की एसएमई शाखा से फर्जी जीएसटी बिल और कूटरचित (जाली) दस्तावेजों के सहारे 75 लाख रुपये का ऋण डकारने के आरोप में न्यायालय के आदेश पर एक ही परिवार के चार सदस्यों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इस पूरे खेल में भाई, बहन, जीजा और एक अन्य रिश्तेदार ने मिलकर बैंक को आर्थिक चपत लगाई।
क्या है पूरा मामला?
किच्छा के ग्राम चुटकी किशनपुर निवासी रविंद्र सिंह नेगी ने स्वयं को ‘मैसर्स सिद्धि विनायक इंटरप्राइजेज’ का प्रोपराइटर बताकर केनरा बैंक की भईपुरा शाखा से एमएसएमई योजना के तहत लोन के लिए आवेदन किया था। बैंक ने भरोसा करते हुए जनवरी और फरवरी 2020 में:
- 45 लाख रुपये की सीसी (Cash Credit) लिमिट स्वीकृत की।
- 30 लाख रुपये का टर्म लोन मशीनरी खरीदने के लिए दिया।
कुल 75 लाख रुपये का लोन जारी होने के बाद जब किस्तें जमा नहीं हुईं, तो बैंक ने जांच शुरू की।
जांच में खुला ‘फर्जीवाड़े’ का पिटारा
बैंक की आंतरिक जांच और तत्कालीन शाखा प्रबंधक सत्येंद्र प्रताप सिंह द्वारा न्यायालय में पेश किए गए तथ्यों के अनुसार, जो स्टॉक सीसी लिमिट के बदले दिखाया गया था, वह मौके पर गायब मिला। मशीनरी के नाम पर लिया गया पैसा भी मशीनों पर खर्च नहीं हुआ।
षड्यंत्र का ताना-बाना:
आरोप है कि रविंद्र सिंह नेगी ने इस राशि को अपने रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर कर दिया:
- 30 लाख रुपये: बहनोई शिव कुमार सिंह की फर्म ‘मैसर्स एसआरएल कॉरपोरेशन’ को भेजे गए।
- 11.50 लाख रुपये: रिश्तेदार की फर्म ‘एसआरएल ब्रदर्स’ में ट्रांसफर हुए।
- 13.25 लाख रुपये: अन्य इंडस्ट्री के नाम पर खपाए गए।
- बाकी रकम निजी बैंक खातों में भेज दी गई।
न्यायालय के आदेश पर FIR दर्ज
बैंक ने जब दस्तावेजों की गहराई से पड़ताल की, तो आवेदन के साथ लगाए गए जीएसटी बिल और अन्य कागजात पूरी तरह फर्जी पाए गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट शंभू नाथ सेठ के आदेश पर पुलिस ने मुख्य आरोपी रविंद्र सिंह नेगी, उसकी बहन कंचन सिंह, जीजा शिव कुमार सिंह और पवन कुमार सिंह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318(4) के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
पुलिस की कार्रवाई:
सीओ प्रशांत कुमार ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। मामले की विवेचना एसआई प्रियांशु जोशी को सौंपी गई है। पुलिस अब इन खातों के ट्रांजेक्शन और फर्जी दस्तावेजों के स्रोत की पड़ताल कर रही है।


