बेटी के हाथ पीले करने का सपना हर मां-बाप का होता है. झारखंड के गोमो में हरिहरपुर थाना क्षेत्र के जयपुर निवासी झारखंड आंदोलनकारी पुनीत महतो के बेटे छत्रधारी महतो भी इसी सपने के साथ अपनी छोटी बेटी ममता कुमारी की शादी की तैयारियों में जुटे थे. लेकिन, नियति को कुछ और ही मंजूर था.
बेटी की डोली उठने से पहले हो गई घायल पिता की मौत
बेटी की डोली उठने से पहले ही बुधवार (10 अप्रैल) को छत्रधारी की मृत्यु हो गयी. इसके बाद समाज के लोग आये आये, सबकी सहमति से पिता का शव घर लाने से पहले ममता की शादी बुधवार को ही मंदिर में करा दी गयी. बताते चलें कि ममता का विवाह गिरिडीह जिले के चिचाकी खूंटा गांव निवासी कुलदीप महतो के पुत्र अजीत महतो के साथ 19 अप्रैल को होना था.
- 8 दिन बाद होनी थी बेटी की शादी, दुर्घटना में हो गयी मौत, आगे आया समाज व दोनों परिवार
- हरिहरपुर थाना क्षेत्र के जयपुर निवासी छत्रधारी महतो दुर्घटना में हो गये थे घायल, रिम्स में दम तोड़ा
- गिरिडीह जिले के चिचाकी खूंटा गांव निवासी अजीत महतो के साथ 19 अप्रैल को होनी थी शादी
- पिता की मौत के बाद ग्रामीणों की सहमति से बुधवार को मंदिर में संपन्न कराया गया बेटी का विवाह
6 अप्रैल को बकरा लाने गए थे छत्रधारी महतो, हो गई दुर्घटना
छत्रधारी शादी के लिए बकरा लाने छह अप्रैल को निमियाघाट गये थे. वापसी के क्रम में जीटी रोड पर निमियाघाट थाना के सामने दुर्घटना का शिकार होकर गंभीर रूप से घायल हो गये. उन्हें एसएनएमएमसीएच धनबाद ले जाया गया, वहां गंभीर स्थिति देख रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) रेफर कर दिया गया. इलाज के दौरान बुधवार की सुबह छत्रधारी ने रिम्स में दम तोड़ दिया. पिता की मृत्यु के बाद शव गांव पहुंचने से पहले ग्रामीणों की सहमति से शादी संपन्न कराने का निर्णय लिया गया.
रिम्स से जैसे ही छत्रधारी महतो का शव गांव पहुंचा, परिजन दहाड़ें मारकर रोने लगे. प्रभात खबर
ग्रामीणों ने लिया अहम फैसला
दरअसल, ग्रामीणों ने लड़की का विवाह टालना उचित नहीं समझा. इसलिए शव आने से पूर्व ममता कुमारी का विवाह कराने का फैसला लिया गया. लड़के के घरवालों से बात की गयी. उन लोगों ने भी फैसले पर सहमति दी और बुधवार को वर पक्ष को छत्रपति के गांव बुलाकर जीतपुर मंदिर में ममता और अजीत का विवाह कराया गया.
शादी के बाद शाम को जीतपुर महतो का शव
शादी के बाद चक्रधारी महतो का शव बुधवार की शाम करीब पौने सात बजे जीतपुर गांव पहुंचा. इससे पूर्व बेटी की डोली उठ चुकी थी. शव पहुंचते ही परिजन दहाड़ें मारकर रोने लगे. वहां भारी भीड़ उमड़ पड़ी. शव का अंतिम संस्कार जमुनिया नदी के जीतपुर घाट पर किया गया. छत्रधारी महतो के बड़े भाई जयराम महतो का पूर्व में ही निधन हो चुका है.
बेटे की मौत से सदमे में बूढ़े पिता
पुनीत महतो अपने घायल पुत्र छत्रधारी महतो को देखने बुधवार की सुबह रिम्स जा रहे थे. तभी रास्ते में निधन की सूचना मिली. परिजनों ने पुनीत महतो को बोकारो से वापस गोमो भेज दिया. पुनीत ने कहा कि बेटे से मुलाकात नहीं होने का उन्हें आजीवन मलाल रहेगा. यह कह कर वह फफक कर रो पड़े.
भतीजी का नहीं हो सका विवाह
छत्रधारी के बड़े भाई जयराम महतो की पुत्री जया कुमारी की शादी चास के बांधडीह में होनी है. विवाह 21 अप्रैल को तय है. निधन के बाद उसके दूल्हा पक्ष को भी गोमो आकर विवाह कराने का प्रस्ताव परिजनों ने दिया. लेकिन दूल्हा के आंध्रप्रदेश में काम के कारण वह तुरंत गोमो नहीं आ सकता था. इस वजह से जया कुमारी का विवाह नहीं कराया जा सका. उसकी तिथि फिर तय की जायेगी.