महेश्वरी मोहाल में सतीश कश्यप उर्फ छोटे बब्बन व उसके साथी की हत्या में उम्रकैद की सजा पाया सफाई नायक शिवपर्वत प्रेमिका और बब्बन के बीच बढ़ती बातचीत से खुन्नस रखने लगा था।
इस बीच बब्बन ने उसका तबादला करा दिया, तो उसकी खुन्नस और बढ़ गई। इसी के चलते उसने अपने दो साथियों के साथ बब्बन पर हमला कर दिया। बीचबचाव में आए साथी ऋषभ की भी हत्या कर दी थी।
रंजिश के ये भी कारण
बेटी ने कोर्ट में बताया था कि पिता ने इटावा बाजार में मकान खरीदा था। मकान के बगल में ही कल्पना शर्मा रहती थी, जिसके शिवपर्वत से संबंध थे। कल्पना पिताजी से भी बातचीत करती थी। इससे शिवपर्वत जलन रखने लगा। ऋषभ कल्पना के घर के सामने रहता था। एक दिन ऋषभ ने शिवपर्वत और कल्पना की आपत्तिजनक तस्वीरें मोबाइल से खींच लीं।
मकान को लेकर हुआ था विवाद
डिलीट न करने पर शिवपर्वत ने ऋषभ को धमकाया था। ऋषभ की शिकायत पिताजी से की थी। दिनेश व उमेश चावल मंडी में एक जर्जर मकान खरीदना चाहते थे औैर पिताजी भी उसी मकान को खरीदने की कोशिश में थे। इसे लेकर पिताजी का दोनों भाइयों से विवाद हुआ था। इन्हीं रंजिशों में तीनों ने मिलकर पिताजी व उनके साथी की हत्या कर दी।।
बेटी ने दी थी गवाही… उसके सामने चाकू से 15 वार कर उतारा था मौत के घाट
बेटी की आंखों के सामने ही हत्यारों ने बब्बन की चाकू से गोदकर हत्या कर दी थी। पिता को बचाने आए उनके साथ रहने वाले 18 साल के ऋषभ की भी जान चली गई थी। हत्यारों ने चाकू से 14-15 वार किए थे। बेटी के चिल्लाने पर सभी भाग निकले थे। चश्मदीद गवाह के रूप में बेटी ने अदालत में गवाही दी थी।
दिनदहाड़े की हत्या, दी जाए फांसी
एडीजीसी संजय कुमार झा ने सजा पर सुनवाई के दौरान तर्क रखा कि दोषियों ने दिनदहाड़े बेखौफ होकर सार्वजनिक स्थान पर दो लोगों की हत्या कर दी। मरने वालों में एक 18 साल का युवक था। ऐसे दोषियों को फांसी की सजा दी जाए। वहीं बचाव पक्ष का तर्क था शिवपर्वत सरकारी कर्मचारी रहा है। उमेश व दिनेश गरीब हैं। इनके एक भाई की मौत हो चुकी है। घर में कमाने वाला कोई नहीं है। कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है।
हत्या से टूट गया था परिवार, फैसला सुनकर मिली राहत
छोटे बब्बन की बड़ी बेटी और घटना की चश्मदीद मीनाक्षी ने फैसला सुनकर राहत की सांस ली। मीनाक्षी ने बताया कि पिता की हत्या के बाद परिवार बिल्कुुल बिखर गया था। मां का दिमागी संतुलन बिगड़ गया। एक छोटा भाई और बहन पढ़ रहे थे। परिवार की पूरी जिम्मेदारी उसके ऊपर आ गई। पिता बिल्डर थे लेकिन उसे इस काम की कोई जानकारी नहीं थी। परिवार वालों को संभालना और आर्थिक रूप से मजबूत बनना था। धीरे-धीरे कामकाज समझा और पिता के ही काम को आगे बढ़ाया। कुछ लोगों की मदद से रेलवे में फूड सप्लाई का काम भी शुरू किया। परिवार की जिम्मेदारी के आगे शादी-ब्याह के बारे में सोचने का मौका ही नहीं मिला।
हत्या वाले दिन थी कल्पना की बेटी की हल्दी
जिस दिन दोहरा हत्याकांड हुआ, उसी दिन आरोपी कल्पना शर्मा की बेटी की हल्दी का कार्यक्रम भी था। इटावा बाजार स्थित गज्जूलाल धर्मशाला में कल्पना भी कार्यक्रम में मौजूद थी। इस बात की तस्दीक कार्यक्रम में हलवाई का काम करने गए मनोहर ने कोर्ट में गवाही कै दौरान की थी। कोर्ट ने माना कि कल्पना घटनास्थल पर मौजूद नहीं थी। षड्यंत्र कै भी कोई सबूत नहीं मिले इसलिए उसै बरी कर दिया।
जानें क्या था पूरा मामला
साढ़े छह साल पहले दिनदहाड़े महेश्वरी मोहाल में भाजपा नेता और बिल्डर सतीश कश्यप उर्फ छोटे बब्बन व उसके साथी ऋषभ की हत्या में सफाई नायक, उसके दो साथियों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। तीनों हत्यारों पर 20-20 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। मुकदमे में आरोपी महिला को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया है।
सतीश की शिकायत पर हुआ था शिवपर्वत का तबादला
फीलखाना थाना क्षेत्र के चावल मंडी निवासी प्रेमकुमार कश्यप ने 29 नवंबर 2017 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। कहा था कि उनके छोटे भाई सतीश कश्यप उर्फ छोटे बब्बन बिल्डर थे। जिस मकान का निर्माण करा रहे थे, वहां सफाई नायक शिवपर्वत वाल्मीकि कूड़ा जमा करवा देता था। सतीश की शिकायत पर शिवपर्वत का तबादला हो गया था। इस पर वह रंजिश मानने लगा।
धारदार हथियार से वार कर उतारा था मौत के घाट
29 नवंबर को शिवपर्वत अपने साथी उमेश कश्यप व दिनेश कश्यप (दोनों सगे भाई) के साथ आया और घर के पास खड़े सतीश पर धारदार हथियार से वार करने लगा। बचाने दौड़े साथी ऋषभ पर भी हमला कर दिया। दोनों को हैलट ले जाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। एडीजीसी संजय कुमार झा ने बताया कि विवेचना के बाद पुलिस ने चटाई मोहाल निवासी शिवपर्वत, चावल मंडी निवासी दिनेश व उमेश कश्यप और इटावा बाजार निवासी कल्पना शर्मा के खिलाफ चार्जशीट भेजी थी।
12 गवाह कोर्ट में पेश किए गए थे
अभियोजन की ओर से मृतक के भाई प्रेम कुमार, बेटी मीनाक्षी व भतीजी पूजा समेत 12 गवाह कोर्ट में पेश किए गए। सबूतों और गवाहों के आधार पर अपर जिला जज-20 नीलांजना ने शिवपर्वत, उमेश व दिनेश को दोषी मानकर सजा सुनाई। संदेह का लाभ देते हुए कल्पना शर्मा को बरी कर दिया। छह साल से जेल में बंद शिवपर्वत को तीन-चार माह पहले हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। बाकी दोनों भाइयों को भी एक-डेढ़ साल पहले जमानत मिली थी।