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इलेक्ट्रिक व्हीकल वाहन से उत्तराखंड का सफर करने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है. जल्द प्रदेश के कई जिलों में उत्तराखंड परिवहन विभाग ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाने जा रहा है. जिससे लोगों को अपने इलेक्ट्रिकल वाहन को चार्ज करने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.

इलेक्ट्रिक व्हीकल से अगर आप पहाड़ों पर आ रहे हैं तो ये खबर आपके लिए है. उत्तराखंड परिवहन विभाग जगह-जगह ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाने जा रहा है, जिससे बाहर से आने वाले पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय इलेक्ट्रिकल व्हीकल स्वामियों को अपने वाहनों को चार्जिंग करने के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा. उत्तराखंड परिवहन विभाग प्रदेश के 12 जिलों में ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाने जा रहा है. जिसके तहत नैनीताल जनपद में 13, अल्मोड़ा जनपद में 18, पिथौरागढ़ में 14, बागेश्वर में 5, चंपावत में 3, चमोली में 5, उत्तरकाशी में 4, देहरादून में 12,पौड़ी में 7, टिहरी में 6, हरिद्वार में 2, जबकि उधम सिंह नगर में 1 जगह पर ईवी चार्जिंग स्टेशन बनाए जाने की कवायद शुरू कर दी गई है. हल्द्वानी संभागीय परिवहन अधिकारी संदीप सैनी ने बताया कि परिवहन विभाग मुख्यालय के निर्देश के बाद चार्जिंग स्टेशन बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है.

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जिसके तहत जिलाधिकारी के माध्यम से कुमाऊं मंडल विकास निगम या अन्य सरकारी सरकारी विभागों के भूमि भवन का चयन कर चार्जिंग स्टेशन लगाने की कार्रवाई की जा रही है.सरकारी भूमि-भवन नहीं मिलने की स्थिति में निजी संस्था के माध्यम से ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाया जाएगा. उन्होंने बताया कि नैनीताल जनपद में भारी संख्या में पर्यटक आते हैं. जहां इलेक्ट्रिक व्हीकल से आने वाले पर्यटकों को चार्जिंग स्टेशन के लिए समस्या खड़ी होती है. ऐसे में चार्जिंग स्टेशन बन जाने से पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को अपने इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग करने में आसानी होगी.

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योजना के तहत चार्जिंग स्टेशन के लिए 100 वर्ग मीटर की भूमि के साथ 60 से 70 किलो वाट की बिजली कनेक्शन और इंटरनेट कनेक्टिविटी होना आवश्यक है. उन्होंने बताया कि सरकार की मंशा है कि 2025 तक जगह-जगह ईवी चार्जिंग स्टेशन की स्थापना की जाए, जिससे इलेक्ट्रिकल व्हीकल वाहनों को चार्जिंग के लिए किसी तरह की कोई समस्या खड़ी ना हो. गौरतलब है इलेक्ट्रिक व्हीकल की संख्या लगातार बढ़ रही है. ऐसे में सरकार की मंशा है कि पहाड़ों पर आने वाले पर्यटकों को इलेक्ट्रिकल व्हीकल चार्जिंग के लिए परेशानी ना उठानी पड़े, जिसके तहत इस योजना को लागू किया गया है.

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