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उत्तराखंड 

उत्तराखंड बनाम उमेश शर्मा मामले में प्रदेश सरकार ने खुद को बैकफुट पर ले लिया है. हाल ही इस की चर्चा भी तेज हो गई थी. आज (शनिवार)  धामी सरकार ने खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार शर्मा खिलाफ दर्ज मुकदमे को वापस लेने का फैसला लिया है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो राज्य सरकार उमेश शर्मा को राजद्रोह के मामले मे खिंचने के पक्ष में नहीं थी. इसी वजह से आज (शनिवार) एसएलपी वापस लेने के राज्य सरकार की ओर से एफिडेविट दाखिल किया गया है.

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क्या है पूरा मामला 

विधायक उमेश शर्मा ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. इसके बाद उमेश शर्मा पर राजद्रोह का यह मामला दर्ज किया गया. उस समय त्रिवेंद्र रावत राज्य के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. उमेश शर्मा के मामले को हाई कोर्ट में पहले निरस्त कर दिया गया था लेकिन उसके बाद सरकार इस केस को सुप्रीम कोर्ट में ले गई. हरिद्वार के जिस खानपुर विधानसभा से उमेश शर्मा विधायक हैं. उस सीट पर पहले बीजेपी विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन का कब्जा हुआ करता था लेकिन साल 2022 के विधानसभा चुनाव उमेश शर्मा ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. इस साल उमेश शर्मा के खिलाफ चुनाव मैदान में कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन की पत्नी कुंवररानी देव्यानी सिंह बीजेपी की ओर से उम्मीदवार बनाया गया था जबकि उमेश शर्मा निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में थे.

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क्या होगा प्रदेश की राजनीति पर असर

इस तरह सरकार के पीछे हटने के बाद ये आसार लगाए जा रहें कि प्रदेश की सियासत में फिर से गर्माहट देखने को मिलेगी. खबर है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने पार्टी नेतृत्व से नाराजगी जताई थी क्योंकि त्रिवेंद्र सिंह और उमेश शर्मा की यह लड़ाई जगजाहिर है लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मामले को गम्भीरता से लिया, जिसके बाद धामी सरकार ने एसएलपी वापस लेने का फैसला वापस लिया है.

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