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गुजरात, चुनाव स्पेशल

गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए तमाम राजनीतिक पार्टियों ने ताकत झोंक दी है. लेकिन इस चुनाव में बीजेपी के 19 नेता या तो निर्दलीय या कांग्रेस के चिन्ह पर चुनाव लड़ रहे हैं. आधिकारिक तौर पर उन्हें वापस लेने के लिए मनाने का प्रयास किया गया था, लेकिन दौड़ से बाहर होने के लिए उन पर कोई दबाव नहीं डाला गया.

अब सवाल उठता है कि क्या यह प्रमुख समुदायों के वोटों को विभाजित करने और पार्टी के उम्मीदवार को फायदा पहुंचाने या निर्वाचित होने पर उनका समर्थन लेने के लिए सत्ताधारी दल की रणनीति का हिस्सा है? त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में सरकार बनाने के लिए निर्दलीय के समर्थन की जरूरत पड़ती है.

क्या है बीजेपी की रणनीति

वडोदरा के वरिष्ठ पत्रकार मनु चावड़ा ने IANS को बताया कि बीजेपी नेताओं ने पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ बगावत क्यों की. उन्होंने दीनूभाई पटेल के मामले का हवाला देते हुए जो बीजेपी उम्मीदवार चैतन्यसिंह जाला के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, कहा कि पटेल पूर्व विधायक हैं, जो पहली बार 2007 में निर्दलीय के रूप में विधानसभा के लिए चुने गए थे. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार को हराया था. मगर 2012 में बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़े और कांग्रेस उम्मीदवार को हराया. लेकिन 2017 में हार गए, क्योंकि जाला ने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा था और वोटों को विभाजित करके जीते थे. अब बीजेपी ने जाला को मैदान में उतारा है.

वाघोडिया सीट पर बीजेपी के छह बार के विधायक मधु श्रीवास्तव ने बगावत कर दी है और बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं. चावड़ा के अनुसार, वह निश्चित रूप से बीजेपी के वोटों को विभाजित करने जा रही हैं. पार्टी उम्मीदवारों की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा रही हैं, जिसके कारण निर्दलीय उम्मीदवार धर्मेद्रसिंह वाघेला या कांग्रेस उम्मीदवार सत्यजीत सिंह गायकवाड़ को फायदा मिलने की संभावना है. अगर पटेल और श्रीवास्तव जीत हो जाते हैं और अगर बहुमत के लिए बीजेपी के सदस्य कम पड़ेंगे, तो ये दोनों निश्चित रूप से समर्थन करेंगे और बीजेपी के साथ खड़े होंगे.

बीजेपी लेकर चल रही प्लान बी

राजनीतिक विश्लेषक जगदीश मेहता कहते हैं कि यह बीजेपी का प्लान बी भी हो सकता है. उनके आकलन के अनुसार, कम से कम चार बागियों – पटेल, श्रीवास्तव, मावजी देसाई (धनेरा) और धवलसिंह जाला (बायड़) के जीतने की 50 प्रतिशत संभावना है. अगर वे जीत जाते हैं और त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनेगी, तो ये बीजेपी में फिर से शामिल हो सकते हैं या उसे समर्थन दे देंगे.