बनभूलपुरा हिंसा को ढाई माह से अधिक का समय गुजर चुका है और आचार संहिता लगते ही पुलिस की कार्रवाई स्थिल पड़ गई थी। अब एक बार फिर से बनभूलपुरा में उपद्रवियों की पहचान और गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू होगा। इस मामले के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक समेत अब तक कुल 122 लोग जेल जा चुके हैं। बड़ी बात यह है कि अब तक किसी की भी जमानत स्वीकार नहीं हुई है।
बीती आठ फरवरी को बनभूलपुरा के कंपनी बाग (मलिक का बगीचा) से हिंसा भड़की थी। इस भूमि पर अवैध अतिक्रमण को ढहाने के दौरान पथराव, आगजनी, गोलीबारी और बनभूलपुरा थाने को उपद्रवियों ने फूंक दिया था। चूंकि मलिक का बगीचा पर लाइन नंबर आठ निवासी अब्दुल मलिक का दावा था तो पुलिस ने अब्दुल मलिक को ही हिंसा का मुख्य आरोपी माना।
उसकी गिरफ्तारी दिल्ली से हुई और फिर उसका बेटा अब्दुल मोईद भी गिरफ्तार किया गया। कुल 122 लोग जेल गए। जिसके बाद आचार संहिता लग गई और पुलिस चुनाव में व्यस्त हो गई। पुलिस ने अब घटना से जुड़े सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल के वीडियो फिर से खंगालने शुरू कर दिए हैं। बता दें कि मलिक का बगीचा में अब भी ऐसे दर्जनों घर हैं, जिन पर ताले लटके हैं। इसको लेकर कुछ समय पूर्व एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने कहा था कि चुनाव के बाद हिंसा मामले में फिर से कार्रवाई शुरू होगी।
जमानत रद्द कराने की भी बन रही रणनीति
नई गिरफ्तारियों के साथ पुलिस का यह भी प्रयास है कि मामले में पूर्व में बंद आरोपियों की जमानत न हो। इस मामले में मलिक समेत कई लोगों पर यूएपीए के तहत कार्रवाई हुई है। जिसकी वजह से तीन माह तक वैसे भी जमानत नहीं हो सकती। चूंकि अब जमानत का वक्त करीब आ रहा है तो पुलिस गवाहों और साक्ष्यों को नए सिरे से मजूबत करने में जुटी है। ताकि जमानत मांगने वालों को जमानत न मिले।