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देश की राजधानी दिल्ली के राजेन्द्र नगर इलाके में बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटर में भरे बारिश के पानी में आईएएस की तैयारी कर रहे तीन युवाओ के मौत के हादसे से लगता है कि हल्द्वानी अफसरों खासतौर में जिला विकास प्राधिकरण के अफसरों ने कोई सबक नहीं सीखा है।

शायद यही कारण है कि आज सोमवार को हल्द्वानी शहर के मुखानी चौराहा के समीप स्थित एक बिल्डिंग के बेसमेंट में चल रही डीवी डायग्नोसिस सेण्टर में अचानक आग लगने से हड़कंप मच गया। इस आगजनी में किसी के हताहत होने की तो कोई खबर नहीं है, लेकिन यहां एक सवाल फिर खड़ा हो गया है कि जिस बेसमेंट में पार्किंग होनी चाहिए थी वहा डायग्नोसिस सेण्टर कैसे संचालित किया जा रहा था। यहाँ सवाल य़ह उठता है कि प्रशासन के किसी भी अफसर को बेसमेंट में चल रहे अवैध रेस्टोरेंट, बार, नर्सिंग होम, ओपीडी, कोचिंग सेंटर, डायग्नोसिस सेण्टर नजर क्यों नहीं आ रहे है।

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य़ह स्थिति तो तब है जब माननीय उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के राजेन्द्र नगर के बेसमेंट में हुए दुःखद हादसे पर चिंता व्यक्त की है और तमाम बिल्डिंगों के बेसमेंट में चल रही कारोबारी गतिविधियों को लेकर सख्त है। उत्तराखंड प्रदेश की धामी सरकार ने भी बेसमेंट में चल रही कारोबारी गतिविधियों को रोकने की सख्त हिदायत अधिकारियों को दी है।

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साथ ही इसके लिए अफसरों की भी जिम्मेदारी तय करने के लिए कहां गया है। लेकिन सरकार के इस फरमान को लेकर अफसर कितने गंभीर है, इसका अंदाजा बेसमेंट में चल रहे अवैध रेस्टोरेंट, बार, नर्सिंग होम, ओपीडी, कोचिंग सेंटर, डायग्नोसिस सेण्टर से लगाया जा सकता है। बेसमेंट में इसी तरह की कारोबारी गतिविधियां ही हादसों को न्योता दे रही है। हल्द्वानी के मुखानी चौराहा के समीप बिल्डिंग के बेसमेंट में ही नहीं बल्कि महानगर की तमाम ऐसी बिल्डिंग है जहां प्राधिकरण से बेसमेंट में पार्किंग स्थल बनाने के वादे पर मानचित्र स्वीकृत कराने वाले बजाय वहां पार्किंग बनाने के उस जगह का कारोबारी प्रयोग कर रहे है।