आमजन को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों की शुरूआत की गई। इन केंद्रों में जेनरिक दवाएं बेहद ही सस्ते दामों में मिलती हैं। रक्तचाप, मधुमेह, कॉलस्ट्रॉल, एलर्जी, गठिया आदि बीमारियों की दवाएं ब्रांडेड दवाओं के मुकाबले कम दाम पर उपलब्ध रहती हैं।
शहर में भी कई जगहों पर प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले गए हैं लेकिन समस्या यह है कि जन औषधि केंद्रों के नाम पर इनमें से कुछ केंद्रों पर ब्रांडेड दवाएं बेचे जाने का धंधा चल रहा है। कुछ पीएम जन औषधि केंद्रों के बाहर बोर्ड तो प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र का लगा हुआ है लेकिन अंदर जन औषधि के साथ ही ब्रांडेड दवाएं भी रखी गईं हैं, जबकि नियम के तहत जन औषधि केंद्रों के अंदर ब्रांडेड दवाएं नहीं रखी जा सकतीं हैं। इसके बावजूद यह काम खुलेआम हो रहा है।
इस तरह से होता है खेल
ग्राहक जब जन औषधि केंद्रों पर दवा लेने पहुंचते हैं तो उसे बताया जाता है कि वह जो दवा लेने आया है वह खत्म हो गई है और उसे उसकी जगह ब्रांडेड दवा पकड़ा दी जाती है। अमूमन उन ब्रांडों की दवा दी जाती है जो जन औषधि के दामों से तो महंगी होती हैं लेकिन बाजार में प्रचलित ब्रांडों से सस्ती होती हैं। कभी-कभी तो ग्राहक को यह भी नहीं बताया जाता है कि दवा खत्म हुई है या नहीं और उसे सीधे ही ब्रांडेड दवा दी जाती है। इस खेल में ग्राहक को फंसाने के लिए हमेशा इसी बात का ध्यान रखा जाता है कि उसे उसी ब्रांड की दवा दी जाए जिसमें भारी छूट देने की गुंजाइश हो।
नियम के तहत नहीं बेच सकते हैं ब्रांडेड दवा
जन औषधि केंद्रों में सीधे तौर पर ब्रांडेड दवा नहीं रखी जा सकतीं हैं। अगर किसी को ब्रांडेड दवा भी बेचनी है तो उसे इसके लिए अलग से लाइसेंस लेना होगा और अलग दुकान पर ब्रांडेड दवा को रखना होगा। जन औषधि केंद्र में केवल जन औषधि ही रखी जा सकती है।
यूं कमाते हैं लाभ
जन औषधि केंद्र की दवा के दाम काफी कम होते हैं। साथ ही इनको बेचने में अधिकतम लाभ 30 प्रतिशत तक होता है। आप ऐसे समझें, रक्तचाप की आने वाली दवा मेटोप्रोलोल 50 एमजी का एक पत्ता जन औषधि केंद्र में नौ रुपये तक मिलता है। जिसको बेचने में अधिकतम 2.70 रुपये बचेंगे। वहीं अन्य ब्रांड जो सस्ते दामों में दवा बेचते हैं, उसमें 40 से 50 रुपये तक के दाम होंगे और दुकानदार को करीब 10 से 15 रुपये तक का लाभ होगा। ग्राहक बस यहीं फंसता है कि मेटोप्रोजोल 50 एमजी को प्रचलित ब्रांडों को लेने में यह दवा 70 से 90 रुपये तक में आती है।
यह है फर्क
सॉल्ट का नाम बीमारी दाम (जन औषधि) दाम (ब्रांड)
-टेल्मीसर्तन रक्तचाप 19 रुपये 70 से 100 रुपये
-डाइसोडियम
हाइड्रोजन साइट्रेट सिरप यूरीन इंफेक्शन 22 रुपये 70 से 90 रुपये
-लिवो सिट्राजिन एंड मोंट्रूक्लॉस एलर्जी 30 रुपये 50 से 70 रुपये
-पैनटॉप गैस 22 रुपये 90 से 100 रुपये
-ग्लिमेपिराइड मेटफॉर्मिन मधुमेह 24 रुपये 50 से 70 रुपये
-मल्टी विटॉमिन ताकत 30 रुपये 100 से 150 रुपये
संबंधित विभाग की बहाने बाजी से मिलती है छूट
हल्द्वानी। जिन जन औषधि केंद्रों में ब्रांडेड दवाएं बेची जा रहीं हैं, उनको छूट संबंधित विभाग की लापरवाही से मिलती है। खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग की ओर से कहा जाता है कि जन औषधि केंद्र उनके दायरे में नहीं आते हैं। यह आम मेडिकल स्टोर नहीं होते हैं लेकिन विभाग इस बात पर चुप रहता है कि एलोपैथिक दवाएं अगर कहीं बिना लाइसेंस के बेची जाती हैं तो वह तो उनके दायरे में आता है। पूर्व में एक शहर के कुछ जन औषधि केंद्रों पर ब्रांडेड दवाएं बेचे जाने पर कार्रवाई भी हुई थी। सजा के तौर पर इनको अपना केंद्र कुछ दिन बंद रखना पड़ा था लेकिन बाद में फिर से केंद्रों में फिर से ब्रांडेड दवाएं बेची जाने लगीं।
जन औषधि केंद्र में ब्रांडेड दवाओं की बिक्री को लेकर संबंधित संस्थान में पत्राचार किया गया है। वहां से उत्तर आने का इंतजार है।
-मीनाक्षी बिष्ट, औषधि नियंत्रक, हल्द्वानी