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छह साल बाद एक बार फिर पूर्व सैनिक छात्रावास की आस जगी है। कुमाऊं के 61,493 पूर्व सैनिक व 86,454 वीरांगनाओं की बच्चियों के लिए छात्रावास बनाने की कवायद चल रही है।

छह साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसकी घोषणा की थी। घोषणा के बाद छात्रावास बनाने के लिए इस बार चौथी जमीन देखी गई है। प्रशासन और पूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड अधिकारियों के बीच इस पर सहमति भी बन गई है। उम्मीद है दीपावली तक छात्रावास के तोहफे पर मोहर लग जाएगी।

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18 फरवरी 2018 को हल्द्वानी में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुमाऊं के पूर्व सैनिक और वीरांगनाओं के बच्चों के लिए छात्रावास की घोषणा की थी। घोषणा के बाद छह साल में दो मुख्यमंत्री बदल गए, लेकिन घोषणा केवल कागजों में ही सिमटकर रह गई। गोरापड़ाव, गौलापार और फतेहपुर में जगह चिह्नित की गईं, लेकिन जब मुआयना और तकनीकी निरीक्षण किया गया तो तीनों ही स्थानों पर छात्रावास न बन पाने की बात सामने आई।

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इसके बाद छात्रावास की फाइल दबी रही। इस बार एक बार फिर उम्मीद को पंख लगते दिखाई दे रहे हैं। हाल ही में प्रशासन ने रामपुर रोड स्थित गन्ना सेंटर इलाके में करीब तीन एकड़ भूमि का निरीक्षण किया है। यह भूमि छात्रावास के लिए उपयुक्त बताई जा रही है। इसकी रिपोर्ट भी प्रशासन ने तैयार करनी शुरू कर दी है।

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कहीं रास्ता तो कहीं जलभराव बन चुका है रोड़ा 
छात्रावास के लिए पहले चिन्हित हुई गौलापार की भूमि पर हाईकोर्ट शिफ्ट होने के चलते रोक लगी। वहीं गोरापड़ाव में चिन्हित हुई भूमि तक जाने का रास्ता बेहद कम था, इसके चलते वहां भी प्रस्ताव पास नहीं हुआ। जब टीमों ने फतेहपुर स्थित भूखंड का मुआयना किया तो वहां बहने वाले नाले के उफान पर आने की दिक्कत ने रोड़ा अटका दिया।

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